चाणक्य का संपूर्ण जीवन परिचय एवं उनके द्वारा कही गई कुछ 10 प्रमुख बातें |
यदि आप अपने जीवन में चतुराई के साथ सफलता हासिल करना चाहते हैं , तो आपको चाणक्य के कई बातों एवं उनके द्वारा बनाए गए मार्ग पर चलना होगा | चाणक्य ने अपने जीवन में कूटनीति और राजनीति का बहुत ही सरल तरीके से प्रयोग किया था और उन्हीं के जैसे भी आपको अपना जीवन आसान बनाने के लिए ऐसा करना होगा | यदि आप अपने जीवन को सफल एवं शानदार रूप से जीना चाहते हैं , तो आपको चाणक्य के जीवन परिचय को अवश्य पढ़ना चाहिए एवं उनके द्वारा कही गई कुछ बातों का विशेष रूप से अपने जीवन में निर्वहन करना चाहिए | आज हम आपको इस लेख के माध्यम से चाणक्य के संपूर्ण जीवन परिचय एवं उनके द्वारा कही गई कुछ प्रमुख बातों के बारे में बताने वाले हैं | यदि आप भी आचार्य चाणक्य की जीवन गाथा को पढ़ना चाहते हैं , तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें |
नाम | चाणक्य |
---|---|
जन्मदिन | 371 ईसा पूर्व |
मृत्यू दिन | 283 ईसा पूर्व |
शैक्षिक योग्यता | समाजशास्त्र, राजनीति, सामुद्रिक शास्त्र ,युद्ध शास्त्र ,अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन। |
पिता | ऋषि चणक |
माता | चनेश्वरी |
राजकीय कार्य | मौर्य साम्राज्य की स्थापना |
चाणक्य जन्म एवं प्रारंभिक परिचय ( Chanakya's earlier life )
चतुर चालाक एवं महान विचारों वाले चाणक्य पंडित के जन्म के बारे में कुछ भी साफ तौर पर स्पष्ट नहीं है | चाणक्य का जन्म 371 ईसा पूर्व के तक्षशिला कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था | चंद्रगुप्त के इतिहास में यह बताया गया है , कि चाणक्य को भारतवर्ष का 'मैक्यावली' भी कहा जाता है | चाणक्य पंडित की जन्म को लेकर आज भी मतभेद खत्म नहीं हुआ है | कई विद्वानों का मानना है , कि आचार्य चाणक्य का जन्म कुटिल वंश में हुआ है और आचार्य चाणक्य 'कौटिल्य' के नाम से भी इसी कारण जाना जाता है | वहीं पर कई विद्वानों का एक मत है , कि चाणक्य अपने बाल काले में बहुत गुणवान एवं बुद्धिमान थे इस वजह से भी उनका नाम 'कौटिल्य' हो सकता है | कुछ अन्य विद्वानों की माने तो , इस सर्वज्ञ ज्ञानी एवं महान राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य का जन्म नेपाल की तराई में हुआ है | वहीं पर जैन धर्म के विद्वान बताते हैं , कि चाणक्य का जन्म स्थान में सूर्य राज्य के श्रवणबेलगोला में हुआ है | इनके जन्म को लेकर आज भी भारतवर्ष के इतिहास में मतभेद एवं भ्रांतियां खत्म नहीं हुई है | चाणक्य ने अपनी छोटी उम्र में ही गरीबी को बहुत ही करीब से देखा है और महसूस किया है , उनकी गरीबी इस कदर थी , कि उनको कभी कभी खाना नसीब नहीं होता था और खाली पेट ही गुजारा करना पड़ता था | चाणक्य का बचपन का स्वभाव उग्र एवं ज़िद्दी वाला था और यही कारण है , कि उनके उग्र एवं जिद्दी स्वभाव की वजह से ही नंद वंश का विनाश हुआ और मौर्य साम्राज्य का स्थापना हुआ था | चाणक्य पंडित बचपन से ही साधारण एवं शांत स्वभाव से जीवन यापन करना पसंद करते थे | आचार्य कौटिल्य ने कभी भी महामंत्री या राज पाठ का ठाठ बाट उन्हें पसंद नहीं था और उन्होंने कभी भी इसका फायदा नहीं उठाया | चाणक्य पंडित के अंदर किसी भी प्रकार का लोभ , माया या धन की कामना नहीं करते थे | चाणक्य पंडित ने अपने बुद्धिमता एवं संघर्ष के पल पर भारतीय इतिहास में एक महान विद्वान के रूप में उभर के आए |
चाणक्य पंडित की शिक्षा ( education of Chanakya )
इस विद्वान पंडित ने अपनी शिक्षा दीक्षा को उस समय के प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरी की | चाणक्य जी के अंदर बचपन से ही विलक्षण प्रकार की प्रतिभा एवं होनहार छात्र का स्वभाव था | चाणक्य पंडित पढ़ने लिखने में बहुत ही तेज बुद्धि के व्यक्ति थे | वहीं पर कुछ ग्रंथों एवं विद्वानों के अनुसार चाणक्य ने अपने शिक्षा दीक्षा को तक्षशिला के शिक्षा ग्रहण केंद्र में अपनी शिक्षा को पूरा किया था | तक्षशिला एक उत्तर-पश्चिमी भारत के प्राचीन काल में शिक्षण का केंद्र हुआ करता था | जैसा कि चाणक्य का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था , तो इसलिए उन्हें अर्थशास्त्र , राजनीति युद्ध रणनीतियों , दवा और ज्योतिषी जैसे कई विषयों पर बहुत ही ज्यादा ज्ञान था और इन सभी विषयों के विशेषज्ञ भी थे | यदि हम इतिहास से पता करें तो , यह मालूम पड़ता है , आचार्य कौटिल्य को ग्रीक और फारसी भाषा की अच्छी जानकारी भी थी | आचार्य चाणक्य को वेदों एवं साहित्य के बारे में अच्छी जानकारी थी | आचार्य पंडित अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद तक्षशिला में राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हो गए थे और बाद में चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में प्रसिद्ध हुए |
चाणक्य सामुद्रिक शास्त्र मे भी माहीर थे (chanakya was scolar in samudrik shastra )
चाणक्य सिर्फ अर्थशास्त्र और राजनीति मे ही नही बल्कि सामुद्रिक शस्त्र मे भी पारंगत थे | सामुद्रिक और समुद्र एक ऐसा शास्त्र हई जिसमे इंसान के सिर के बालों से ले के पैर के नाखुन का अभ्यास करके मनुष्य के जीवन के बारे मे बताया जा सकता है की वो जीवन मे क्या बन सकता है और क्या नही | ईसी वजह से चाणक्य ने अपने जीवन मे हमेशा सही लोगों को चुना |
किन घटनाओं की वजह से चाणक्य का जीवन बदल गया था ? ( life changing moments of Chanakya )
चाणक्य जी का चरित्र और महान व्यक्तित्व वाला था और इसके साथ ही चाणक्य एक महान शिक्षक भी हुआ करते थे | चाणक्य अपने महान विचारों और चतुर नीतियों की वजह से बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय हो चुके थे | परंतु उनके सफलता के क्षण में ही कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसकी वजह से आचार्य चाणक्य का जीवन ही पूरी तरह से बदल गया | चलिए जानते हैं , वह कौन सी ऐसी घटनाएं थी ,जिसके वजह से चाणक्य के जीवन में अचानक से बदलाव हो गया | चाणक्य के जीवन में दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जो इस प्रकार वर्णित है |
प्रथम घटना :- भारतवर्ष पर सिकंदर का आक्रमण और छोटे तत्कालीन राजाओं की हार |
द्वितीय घटना :- मगध के शासक द्वारा आचार्य कौटिल्य का अपमान |
आचार्य चाणक्य जीवन में यह दो प्रकार की ऐसी प्रमुख घटनाएं घटी जिसके वजह से आचार्य चाणक्य ने देश की अखंडता और एकता को सुरक्षित करने का संकल्प लिया था | इसके अतिरिक्त उन्होंने शिक्षक बनकर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के बजाय देश के शासकों को शिक्षित करने और सही नीतियों को सिखाने का फैसला लिया और इसके साथ ही उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ अपने घर की ओर लौट गए |
जब आचार्य चाणक्य तक्षशिला के प्राध्यापक हुआ करते थे उसी दौरान तक्षशिला और गांधार के सम्राट अंभि ने सिकंदर से समझौता कर लिया था | आचार्य चाणक्यजी ने अपने भारतवर्ष की संस्कृति एवं सभ्यता को बचाए रखने के लिए सभी प्रकार के राजाओ एवं हिंदू सम्राटों के पास जाकर सिकंदर से युद्ध करने का आग्रह किया था मगर आचार्य चाणक्य की बात किसी ने नहीं सुनी और कोई भी सिकंदर से युद्ध करने के लिए सामने नहीं आया |मगर पुरु और सिकंदर के बीच युद्ध हुवा था |
क्या सच मे सिकंदर ने पोरस को हराया था (Alexander vs Porus )
Image Source:-indiafacts.org
ईसा पूर्व 326 मे हुए सिकंदर और पोरस (पुरू ) के बीच मे हुई लढाई मे पोरस जीते या सिकंदर इस पे बहोत विवाद है | युरोपीय इतिहासकार इस लढाई को बहोत बढा चढा कर बताते है | वो कहते है की सिकंदर की इस निर्णायक लढाई मे जीत हुई और उन्होणे राजा पोरस को बंधी बनाया ,सिकंदर ने पोरस की वीरता पे खुश हो कर उन्हे जीवनदान दिया और अंभि का राज्य भी पोरस को दिया |
लेकीन युरोपीय इतिहासकार कूछ सवालों जवाब दे नही पाते :-
1] अगर सिकंदर पोरस के साथ हुए लढाई मे जीत गया था तो उसने पोरस को कयू नही मारा |
(सिकंदर के बहोत ही क्रूर राजा था उसने कई राजओ को उंके राज-परीवारों के साथ मारा था )
2] राजा अंभि ने सिकंदर का साथ सिर्फ इसलीये दिया था क्यु की उसे पोरस का राज्य चाहीये था और लढाई के बाद सिकंदर पोरस को अंभि का ही राज्य दे देता है |
3] सिकंदर के सैनिक थक गये थे इसलीये उन्होणे मगध से बिना लढाई किये ही वापस गये |
( सिकंदर ने भारत मे आने से पहले भी बहोत बार अपने राज्य से नई फौज बुलाई थी , फिर भारत मे ऐसा क्यु नही कीया | )
4] अगर सिकंदर लढाई जीत ही गया था तो वो वापस जाते समय आये हुए रास्ते(अंभि के राज्य ) से क्यु नही गया | (सिकंदर जल मार्ग से भारत से वापस गया)
कई इतिहासकारों का मानना है की सिकंदर के भारत आने से पहले राजा अंभि और पोरस के साथ चाणक्य की गुप्त मुलाकात हुई थी |
चाणक्य की प्रतिज्ञा (chanakya's oath )
उस समय काल में मगध साम्राज्य सबसे शक्तिशाली था और इसी वजह से मगध पर पड़ोसी राज्यों की नजर टिकी हुई थी | इन सभी चीजों को मध्य नजर रखते हुए एवं देशहित के नाते आचार्य कौटिल्य ने मगध के उस समय के तत्कालीन राजा धनानंद से सिकंदर के प्रभाव को रोकने एवं उसे पराजित करने के लिए आग्रह किया | परंतु उस समय धनानंद राज्यश्री भोग, विलास और शक्ति के घमंड में चूर हुआ करता था और यही कारण है , कि उस दौरान धनानंद ने चाणक्य के द्वारा किए गए आग्रह को अस्वीकार कर दिया था | धनानंद ने चाणक्य के आग्रह को अस्वीकार करते हुए चाणक्य को कुछ अपशब्द कह कर अपमानित किया था | उसने कहा था , कि "तुम पंडित हो और अपनी चोटी का ध्यान रखो युद्ध करना राजाओं का कार्य है और तुम पंडित हो पंडिताई करो" | अपने इस अपमान और देश हित के लिए चाणक्य के आग्रह को अस्वीकार करने के कारण , उसी दौरान चाणक्य ने नंद साम्राज्य का विनाश करने की प्रतिज्ञा ली थी |
चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य का संबंध कैसा था ? ( relations about Chanakya and Chandragupta Maurya )
चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य का संबंध बहुत ही गहरा था | चंद्रगुप्त आचार्य चाणक्य को अपना गुरु मानते थे | चंद्रगुप्त ने चाणक्य को अपने साम्राज्य का महामंत्री नियुक्त किया था | चाणक्य ही ऐसे व्यक्ति थे , जिन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने में सहायता की थी | नंद वंश के विनाश कि अपनी प्रतिज्ञा को सार्थक करने के लिए चाणक्य निकल पड़े थे | और यही कारण है , कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को अपना शिष्य से बनाया था | चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की प्रतिभा को जांचा परखा और इसके बाद वे समझ गए कि चंद्रगुप्त मौर्य ही ऐसे व्यक्ति हैं , जो नंद साम्राज्य का विनाश कर सकते हैं | चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य की जब मुलाकात हुई , तो उस दौरान चंद्रगुप्त की आयु केवल 9 वर्ष की थी | चाणक्य और चंद्रगुप्त के मिलने के बाद चाणक्य ने चंद्रगुप्त को हर एक जरूरी एवं महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान किया और विशेष प्रकार की नीतियों की शिक्षा दी | चाणक्य ने चंद्रगुप्त को हर एक प्रकार की सहायता प्रदान की , जिससे मौर्य वंश का स्थापना हो सके और नंद वंश का विनाश हो सके |
चाणक्य वर्ण व्यवस्था के खिलाफ थे (chanakya was against the caste system )
जब चाणक्य चंद्रगुप्त का राज्याभिषेक कर रहे थे तब कई ब्राह्मनों ने उनका विरोद किया था क्यु की चंद्रगुप्त दासीपुत्र थे और क्षत्रीय नही थे | तब चाणक्य ने उन्हे समजाने की कई कोशिशे की उन्होणे कहा था की मनुष्य कर्म से ब्राह्मण, क्षत्रीय वैश्य और शूद्र होता है ना की जन्म से | और इसके लीये उन्होणे वेदों के प्रमाण भी दिये थे | ब्राहमनों के विरोद के खिलाफ जाकर चाणक्य ने च्ंनद्रगुप्त को सम्राट बनाया |
मौर्य साम्राज्य की स्थापना करने में चाणक्य का क्या सहयोग था ?( unique strategy of Chanakya for rising Maurya Emperor )
नंद वंश के विनाश को सार्थक करने के लिए चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की भरपूर सहायता की थी | आचार्य चाणक्य ने नंद वंश को समाप्त करने के लिए चंद्रगुप्त को कुछ महत्वपूर्ण एवं बड़ी शक्तियों को चंद्रगुप्त मौर्य के साथ मिलने के लिए नीतियां बनाई और सभी महत्वपूर्ण राजाओं को मौर्य साम्राज्य की स्थापना में सहयोग के लिए जोड़ दिया | चाणक्य ने नंद वंश का समापन करने के लिए बहुत ही खतरनाक एवं घातक नीतियां तैयार की थी और इसी की वजह से नंद वंश के आखिरी शासक का समापन हुआ और इसके साथ ही चाणक्य ने एक नए साम्राज्य 'मौर्य साम्राज्य' की स्थापना की थी | यही वजह है , कि चंद्रगुप्त मौर्य आचार्य चाणक्य को अपने साम्राज्य का महामंत्री घोषित किया था |
राज्य के कार्य में चाणक्य का योगदान ?( thinking of Chanakya for development of nation )
चाणक्य ने राज्य को अपने जीवन में श्रेष्ठ माना है | चाणक्य कहते थे कि राज्य का काम केवल शांति और सुरक्षा तक ही सीमित नहीं रहता है , राज्य कार्य में राज्य की विकास दर और उसकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना ही महत्वता का कार्य है | कौटिल्य जीने राज्य के प्रत्येक नागरिक की समस्याओं को हल करने के लिए एक राजा की क्या महत्व था होती है , इसके बारे में लोगों को और राजाओं को समझाया | चाणक्य ने लिखा है , कि बल ही सत्ता और अधिकार है इन साधनों के द्वारा ही साध्य ही प्रसन्नता है |
क्या चाणक्य और सम्राट अशोक की मुलकात हुई थी (did chanakya and ashoka meet)
कई इतिहास्कारों का मानना हई की सम्राट अशोक और आचार्य चाणक्य की मुलकात हुई होगी लेकीन ऐसे कोई भी घटना का जिक्र अभि तक तो नही मिला | सम्राट अशोक और चाणक्य की मुलकात के 100 फीसदी संभावना है क्योकी चाणक्य की मौत 283 ईसा पूर्व मे हुई थी और सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व मे हुवा था | ईसका मतलब जब अशोक 21 साल के थे तब आचार्य चाणक्य की मृत्यू हुई होगी और ऐसे महान आचार्य चाणक्य को मिलने सम्राट अशोक जरूर गये होंगे |
चाणक्य की विदेश नीति में कितने सूत्र मौजूद थे ?( Chanakya making foreign strategy )
चाणक्य ने विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए इसके लिए और सूत्र तैयार किए थे , जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं |
1] संधि : अपने राज्य और देश के लोगों की शांति के लिए दूसरे शक्तिशाली राजाओं से संधि करनी चाहिए जिसकी वजह से राज्य और राज्य के लोग सुखद रूप से अपना जीवन यापन कर सकते हैं |
2] विग्रह : अपने शत्रुओं के प्रति सही रणनीति तैयार करना |
3] यान : युद्ध घोषणा करने से पहले ही युद्ध की तैयारी करना और रणनीति बनाना |
4] आसन : तटस्थता की नीति का पालन करना |
5] आत्मरक्षा : किसी दूसरे राजा से सहायता मांगना |
6] दौदिभाव : किसी एक राजा से संधि करके अन्य राजा के साथ युद्ध करने की तैयारी करना |
चाणक्य की 10 नीति सूत्र क्या है ?( Chanakya 10 important strategy )
1 . चाणक्य कहते थे , कि हमें दूसरों की द्वारा की गई गलतियों से कुछ सीख लेनी चाहिए | यदि आप अपनी गलतियों से सीख लोगे तो आपकी आयु कम पड़ जाएगी |
2 . चाणक्य का सोचना है कि कई लोग अपने हालात को बदलने का प्रयास ही नहीं करते और जैसे जीवन में बीत रहा है , बस उसी स्थिति से आगे बढ़ते रहते हैं | पर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं और इसके लिए वे अपने सभी महत्वपूर्ण चीजों को दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटते ऐसे लोगों की संभावनाएं होती है , कि वह हार जाएं परंतु ऐसे लोग ही आगे चलकर कुछ बड़ा कर सकने में सक्षम होते हैं |
3 . चाणक्य का सोचना है , कि बीते हुए कल और आने वाले भविष्य के ऊपर ज्यादा सोच विचार नहीं करना चाहिए | ऐसा करने से आप हमेशा चिंता में रहोगे और चिंता से आपका स्वास्थ्य खराब हो जाएगा | सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति सदैव वर्तमान में जीता है और अपने वर्तमान के बारे में ही सोच विचार करता है |
4 . चाणक्य अपनी नीतियों में बताते हैं , कि शिक्षा की शक्ति बहुत ही महत्वपूर्ण होती है | एक शिक्षित व्यक्ति को समाज में सम्मान और आदर किया जाता है |
5 . चाणक्य जी कहते हैं , कि बहुत ही इमानदार और सीधा स्वभाव नहीं रखना चाहिए क्योंकि आपने देखा ही होगा , की सीधा वृक्ष सदैव पहले ही काट दिए जाते हैं | उसी प्रकार अत्यधिक इमानदार और सीधा स्वभाव आपको आपके जीवन में परेशानियां ही पैदा करता रहता है |
6 . आचार्य चाणक्य जी का मानना है , कि दोस्ती सदैव अपने से बराबर वाले व्यक्तियों से करनी चाहिए अपने से ऊपर या अपने से नीचे वाले लोगों को सदैव मित्र नहीं बनाना चाहिए | क्योंकि इसी प्रकार के लोग आपको कष्ट का कारण बनता दिखाई देंगे और यही सबसे जरूरी बात है , कि अपने से बराबर वाले मित्र सदैव आपको सुख प्रदान करते हैं |
7 . सदैव भय से कभी भी भागना नहीं चाहिए ,जिसका सामना करना चाहिए यदि आप भय से भयभीत हो जाएंगे तो कभी भी जीवन में आपको सफलता आसानी से नहीं मिल सकती है | यही कारण है , कि सदैव भय का सामना करना चाहिए सामना करने वाला सबसे शक्तिशाली और बुद्धिमान होता है |
8 . प्रत्येक व्यक्ति कभी भी जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्म से महान बनता है |
9 . किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसकी असफलता के बारे में विचार नहीं करना चाहिए और ना ही शुरू करने के बाद उसे छोड़ना चाहिए | निष्ठा पूर्ण और निरंतर रूप से किया गया कार्य ही सफल होता है |
10 . किसी भी कार्य को करने से पहले अपने आप से तीन प्रश्न करने चाहिए क्या मैं यह कर पाऊंगा ? और क्या मैं इसे आगे ले जा पाऊंगा ? और क्या इसमें मुझे सफलता मिल सकती है ? इन सभी तीन प्रकार के प्रश्नों का उत्तर ढूंढने के लिए आपको थोड़ा गहन चिंतन करना होगा और इसके उपरांत आपको सही जवाब मिल जाएगा तभी आप किसी भी कार्य को आगे और सफलता तक ले जा पाएंगे |
चाणक्य के सम्मान ?( the honour of Chanakya )
दिल्ली के एक स्थान पर जहां पर कई देशों के दूतावास बनाए हैं उसका नाम चाणक्यपुरी रखा गया है , यह नाम चाणक्य जी के सम्मान में रखा गया है | चाणक्य के सम्मान में कई सारे जगहों का नाम उनके नाम के ऊपर नामांकित किया गया है | आज के समय में कई सारे टीवी सीरियल और शिक्षा के विषय में चाणक्य एक विषय के रूप में दर्शाए जाते हैं |
चाणक्य की मृत्यु ?( about Chanakya's death )
इतिहास से पता चलता है , कि चाणक्य की मृत्यु 283 ईसा पूर्व में हुई थी | यह तिथि हम साफ तौर पर कह नहीं सकते हैं क्योंकि जब उनके जन्म से संबंधित विवाद और भ्रांतियां हो सकती हैं , तो इनकी मृत्यु से संबंधित भी हो सकती हैं |
निष्कर्ष :-
आचार्य चाणक्य एक ऐसे राजनीतिक और देशभक्त थे , जिन्होंने नंद वंश का विनाश करके मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी | चाणक्य ने 2300 वर्ष पहले भारत ही नही बल्की पुरे विश्व का सबसे बडा साम्राज्य खडा कीया था | आज के समय में भी चाणक्य की नीति की महत्वता कम नहीं है और चाणक्य की नीति के अनुसार ही कई बिजनेसमैन अपने कार्यों को भी करते हुए नजर आते हैं | यदि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा प्रस्तुत यह लेख आपको पसंद आया हो , तो इसे आप अपने मित्र जनों और परिजनों के साथ शेयर करें | यदि आपके कोई विचार हो या आपके कोई सुझाव हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं |
1 टिप्पणियाँ
As claimed by Stanford Medical, It's indeed the ONLY reason this country's women live 10 years longer and weigh 42 pounds less than we do.
जवाब देंहटाएं(And really, it has NOTHING to do with genetics or some secret-exercise and absolutely EVERYTHING about "how" they eat.)
BTW, I said "HOW", not "what"...
TAP this link to reveal if this easy test can help you unlock your true weight loss possibilities