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अर्जुन और सुभद्रा की प्रेम कहाणी | story of arjun and subhadra

सुभद्रा का संबंध महाभारत काल से है हम लेख के माध्यम से आपको सुभद्रा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तथा सुभद्रा के बारे में रोचक तथ्यों का भी उल्लेख करेंगे।

सुभद्रा का जन्म


                                                             Image Source:-Wikipedia

सुभद्रा श्रीकृष्ण की सौतेली बहन थी  लेकीन फिर भी श्री कृष्ण आपणी बहन  से बहोत प्यार करते थे  | हरिवंश  पुराण के अनुसार सुभद्रा का जन्म नाम चित्रा था |  वसुदेव तथा रोहिणी  की दो संताने थी बलराम तथा सुभद्रा। कई मान्यता के अनुसार सुभद्रा का जन्म वृंदावन मे हुवा था |

सुभद्रा से संबंधित रोचक तथ्य:-

अर्जुन सुभद्रा की पहली मुलाकात 


एक बार सभी यादव  रैवतक पर्वत पर बहुत बड़ा वार्षिक उत्सव मना रहे थे। इस उत्सव में बहुत से लोग शामिल हुए हैं तथा हजारों की संख्या में रत्नों तथा अपार संपत्ति का दान किया जा रहा था | इसमें बालक, स्त्रिया ,वृद्धजन सभी लोग बड़े अच्छे से तैयार होकर पहुंच गए थे । इस उत्सव में श्री कृष्ण के  सभी भाई बहन  तथा अन्य यदुवंशी पहुंचे तथा अपनी पत्नियों के साथ इस शोभा उत्सव का आनंद ले रहे थे।

तभी इस उत्सव में कृष्ण और अर्जुन एक दोस्त की भांति साथ में घूम रहे थे वहीं पर कृष्ण तथा बलराम की बहन सुभद्रा भी थी सुभद्रा को देखकर अर्जुन मोहित हो गए और उसे एक टक देखते ही रहे इस बात को श्री कृष्ण ने जान लिया और ईसी  तरह से अर्जुन और सुभद्रा की  पहली मुलाकात हुई ।

अर्जुन श्री कृष्ण को सुभद्रा से विवाह करणे का मार्ग पुछा तब श्री कृष्ण कहते है :-

क्षत्रीय पुरुषो का धर्म होता है की वो शादी करणे के लीये स्वयंवर मे शामिळ होणा लेकीन आगर वे इसमे असफल होते है तो वो ईसे बलपुरवक करते है | लेकीन माई आपके मामले मे संधीग्ध हू क्युंकी महिलये हमेशा अप्रत्यशीत व्यवहार करती है |आगर सुभद्रा स्वयंवर मे कैसी और योद्धा पे आकर्षित होती है और वो उसे शादी की माला प्रदान करती है तो माई तुमहारी कोई मदत नही कर सकता |


सुभद्रा का स्वयंवर

बलराम ने अपणी  बहन सुभद्रा का  स्वयंवर कराने की योजना बनाई | बलराम अपणी बहन का विवाह दुर्योधन से करवाना चाहते थे | क्युंकी दुर्योधन एक बहोत ही बडे गदाधारी योद्धा थे और बलराम के सबसे चहिते शिष्य थे |जाब ये बात कृष्ण को पता चली तब उन्होणे सुभद्रा को हरण करणे का सूझाव अर्जुन को दिया |    

सुभद्रा और श्री कृष्ण की योजना


श्री कृष्ण ने सुभद्रा को अपनी एक योजना के बारे में बताया श्री कृष्ण ने कहा सुभद्रा से कि तुम्हें अर्जुन के साथ विवाह करना है क्योंकि श्री कृष्ण जानते हैं की सुभद्रा अर्जुन से प्रेम करती है। इस बात को देखते हुए सुभद्रा का हरण करने की योजना बनाई परंतु सुभद्रा इसके लिए तैयार नहीं हुई थी क्योंकि वह यह सोचती थी कि यह एक प्रकार का बाप होगा जिससे मेरे बड़े भाई बलराम का नाम यदुवंशियों में खराब होगा परंतु जब श्री कृष्ण ने कहा कि राजकुल में बलपूर्वक विवाह करने की रीति भी है तब सुभद्रा तैयार हो गई।

सुभद्रा का हरण


एक दिन सुभद्रा एक पर्वत पर पूजा करने गई थी यह पर्वत द्वारका में ही था। वहीं पर एक ब्राह्मण अपने मंगल वचन सुना रहा था और वहीं पर अर्जुन ही बैठे हुए हैं तभी अवसर पाकर अर्जुन ने सुभद्रा को अपने रथ में बिठाकर उसका हरण कर लिया था और अपने नगर की ओर जाने लगा इस दृश्य को देखते हुए सैनिकों ने अर्जुन को रोकणे का प्रयास कीय लेकीन वे असफल हुए |

सुभद्रा का अर्जुन के साथ विवाह


सुभद्रा हरण में श्री कृष्ण की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है इसमें श्री कृष्ण ने अपनी बहन की हरण के लिए अपना रथ दे दिया था जिस पर अर्जुन सवार होकर सुभद्रा को भगा ले गया था|  श्री कृष्ण ने हीं सुभद्रा हरण की योजना  की थी।

सुभद्रा ने अर्जुन के साथ एक मंदिर में जाकर विवाह कर लिया था और वह अपने नगर इंद्रप्रस्थ ले गया और वहां की रानी बनाया परंतु सुभद्रा इंद्रप्रस्थ एक ग्वालन के वेश में ही गई थी वहां द्वारका से कुछ भी सामान नहीं ले गई थी सुभद्रा को इसके लिए काफी आलोचना सहन करना पड़ेगी थी।

सुभद्रा और द्रोपदी की  मुलाकात 


सुभद्रा विवाह करने के पश्चात इंद्रप्रस्थ गई तो वहां पर इंद्रप्रस्थ की महारानी यानी कि अर्जुन की पहली पत्नी द्रोपदी। सुभद्रा एक ग्वालन के रूप में मिलने पहुंची उसने अपने भाई कृष्ण के संबंध में बताया और उसे यह भी बताया कि इसके पीछे मेरे भाई श्री कृष्ण की मदद मिली है। द्रोपदी श्री कृष्ण को अपना गुरु तथा सखा मानती थी इसलिए द्रोपदी ने सुभद्रा को अपना लिया और उसे अपनी छोटी बहन की तरह रखने लगी।

सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु 


अर्जुन तथा सुभद्रा का एक पुत्र हुआ जिस का नाम अभिमन्यु था | अभिमन्यु बहुत ही वीर बालक था जो अपनी बड़ी माता द्रोपदी का बहुत आदर करता था सुभद्रा ने उसे बहुत अच्छे संस्कार दिए जब पांडव  13  वर्ष के लिए वनवास चले गए। तब अभिमन्यु की देखभाल उसके मामा श्री कृष्ण तथा माता सुभद्रा ने की  थी परंतु अभिमन्यु की देखरेख तथा युद्ध कला इंद्रप्रस्थ में नहीं हुई उसकी सारी शिक्षा तथा दीक्षा द्वारका में हुई उसके गुरु उसके मामा श्री कृष्ण ने की ।

सुभद्रा की नींद


जब अर्जुन सुभद्रा के कहने पर चक्रव्यू के बारे में अपने पुत्र को अपने माता के कोख में ही शिक्षा दे रहे थे तब सुभद्रा सो गई थी। अभिमन्यु ने चक्रव्यू के अंदर जाना है का रास्ता तो जान लिया परंतु चक्रव्यूह से बाहर आने का रास्ता उसे नहीं पता चला और वह यह शिक्षा पूरी तरह से प्राप्त नहीं कर पाया इस वजह से अभिमन्यु की चक्रव्यूह में फंसकर मृत्यु हो गई इस कार्य के लिए सुभद्रा को बहुत तकलीफ हुई।

महाभारत युद्ध के समय सुभद्रा की भूमिका


जैसा की आप सब जानते हैं महाभारत युद्ध पांडव तथा कौरवों के बीच हुआ था। महाभारत के युद्ध मे सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु ने कौरवो को बहोत हानी पोहोचाई थी | द्रोणाचार्य ने अर्जुन को मारणे के लीये चक्रव्यूह बनया था जिसमे अभिमन्यु जा फसे और उंकी मृत्यू हुई | 

महाभारत  युद्ध मे द्रोपदी के सारे पुत्र मारे गये इसलीये सुभद्रा का पोता परीक्षित हस्तिनापूर का राजा बना |



ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर मे  बलराम(बलभद्र), सुभद्रा(सुभद्र) और  श्री कृष्ण (जगन्नाथ) की पूजा की जाती है | ओडिशा का जगन्नाथ पुरी मंदिर हिंदुओ के चार पवित्र धाम मे से एक है और सबसे पुराणा धाम माना जाता है |

सुभद्रा को योगमाया देवी के नाम से भी पूजा जाता है |    

आशा करता हूं मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे इस लेख में आपको सुभद्रा के जीवन के बारे में बताया गया तथा सुमित्रा के बारे में अब नहीं कुछ रोचक तथ्य भी साझा किए हैं इस लेख का उद्देश्य केवल सुभद्रा की जीवन के बारे में आपको अवगत कराना था


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