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Who won the Panipat Battle | Third Battle Of Panipat | क्या सच मे मराठे पानीपत की लढाई हारे थे |

महाभारत मे पानीपत का जिक्र

पानीपत का पुराणा नाम "पांडू प्रस्त्र" था | पानीपत का सबसे पुराणा जिक्र महाभारत मे आता है | श्री कृष्ण ने दुर्योधन से जो 5 गांव पंडावो के लीये मांगे थे उन्मेसे एक पानीपत था (पानीपत,तलपत, भघपत,सोनिपत और इंद्रपत ) |



पानीपत की पहली दो लढाईया

पानीपत की पहली लढाई

                                                            Image Source:wikipedia

पानीपत की पहली लढाई मुघल बादशाह बाबर और इब्राहीम लोदी के बीच 21 एप्रिल 1526 को हुई |

बाबर के पास 25,000 और इब्राहीम लोदी के पास 50,000 से ज्यादा की सेना थी | फिर भी इस युद्ध मे बाबर की जीत हुई क्यों की बाबर के पास 15 से 24 तोफे और सो से अधिक बंदुके थी | भारत मे सबसे पहले तोफों का इस्तेमाल बाबर ने किया था | इस लढाई मे इब्राहीम लोदी और उसके 20,000 से ज्यादा सिपाई मारे गये |

इस लढाई के बाद दिल्ली सल्तनत पे मुघल शासन शुरू हुवा |



पानीपत की दुसरी लढाई

                                                            Image Source :wikipedia

पानीपत की दुसरी लढाई मुघल बादशाह अकबर और सम्राट हेमचंद्र (हेमू ) के बीच 5 नवंबर 1556 को हुई |

हेमचंद्र आदिलशाह सूरी के सेनापति थे और पानीपत युद्ध के पहले 1553 से 1556 मे हेमचंद्र ने 22 लढाईया जीती थी | अकबर के पास 10,000 और हेमचंद्र के पास 30,000 की फौज थी | पानीपत की लढाई भी हेमचंद्र जीत ही रहे थे लेकीन मुघलो के तरफ से अचानक आया हुवा तीर हेमू के आखं मे लगा और वे  बुरी तरह से घायल हुए और हेमू के सेना मे एक ही भगडद मची | बैरम खान जो की अकबर का सेनापति था उसने हेमू का सिर काट दिया |इस लढाई मे हेमू के 5,000 से भी ज्यादा सिपाई मारे गये औए सभी मरे हुए फौजियों के सर काटके बैरम खान ने सरों का मीनार बनाया था | सन 1561 मे हाजी खान मेवाती ने गुजरात मे बैरम खान का कत्ल करके हेमू का बदला लिया |



बाबर के मृत्यु के बाद शेरशाह सूरी ने मुघलों को भारत के बाहर खदेड दिया था लेकीन पानीपत के दूरसे युद्ध के बाद फिरसे एक बार दिल्ली पे मुघल शासन शुरू हुवा |





नादीरशाह का आक्रमण


                                                        Image Source: wikipedia

मराठो से निरंतर चले आ रहे युद्धो से मुघल सल्तनत बहोत कमजोर हो गये थी | मराठो ने मुघल हुकूमत खतम तो नही की लेकीन मुघल बादशाह की हेसीयत सिर्फ मराठो के राज्यपाल ( Governer) जेसी कर दी थी |



13 फेब्रुवरी 1739 को करनाल की लढाई मे नादीरशाह ने मुघलो को बहोत बुरी तरह हराया इस लढाई मे नादीरशाह के पास 55,000 और मुघलो के पास 3,00, 000 की सेना थी | नादीरशाह जब दिल्ली आया तब उसे मारणे की एक नाकामयाब कोशिश हुई उसके बाद उसने अपने  सिपाईयो को दिल्ली मे कत्त्ले-आम करणे का हुकूम दिया | 30,000 से भी ज्यादा लोगों को मारा गया |



नादीरशाह को इराण का नेपोलियन भी कहा जाता है | नादीरशाह के सेना मे उस वक्त अब्दाली भी था |



नादीरशाह दिल्ली मे 57 दिन रुका था | दिल्ली से जाते वक्त नादीरशाह ने 30 करोड रुपये ,मयूर सिंहासन , कोहिनूर हिरा , दरिया ए नूर हिरा और बहोत सारा खजाना लूट लिया |इतना सारा खजाना नादीरशाह ने 700 हाथी , 4,000 उंठ और 12,000 घोडों पे लाद कर ले गया |



अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण


                                                   image source : panipat marathi book

पहला आक्रमण

1748 मे मानपूर मुघल और अब्दाली बीच लढाई हुई उसमे अब्दाली का हार हुई |



दूसरा आक्रमण

दुसरे आक्रमण मे अब्दाली की जीत हुई और उसने सिंधु नदी का पश्चिम भाग जीत लिया |



तिसरा आक्रमण

तिसरे आक्रमण मे अब्दाली ने मीर मन्नू को हराया और लाहोर शहर लूटा |

लाहोर के राम रौणी किल्ले मे फसे  900 शिक्खों को मार डाला |

मुलतान भी अब्दाली ने जीत लिया |



चौथा आक्रमण

1756 मे अब्दाली ने फिरसे एक बार हिंदुस्तान पे हमला किया | इस बार अब्दाली ने लाहोर, सरहिंद, दिल्ली, मथुरा, वृंदावान लूटा | दिल्ली, आगरा से बहोत सारी औरतो को गुलाम बनाया उसमे मुघल बादशाह मुहम्मद शाह की बेटीया भी शामिल थी |

पांचवा आक्रमण

1761 मे अब्दाली और मराठो के बीच पानीपत का तिसरा युद्ध हुवा |

छठा आक्रमण

5 फेबुयरी 1762 के अमृतसर की लढाई मे 20,000 से ज्यादा शिक्खों को अब्दाली ने मार डाला |

अमृतसर के पवित्र सवर्ण मंदिर(Golden Temple ) को तोडा, मंदिर के सामने वाला पवित्र अमृत सरोवर मे मिटठी , कचरा और गायों की लाशो से भर दिया |

1762 के मे महीने मे हुई हरनौल के लढाई मे सिखोंने अब्दाली के सेना को हराया |

नवंबर 1763 के लढाई मे सिखों ने अब्दाली को हराया |



सातवां आक्रमण

1764 को हुई सरहिंद की लढाई मे सिखों ने अब्दाली की सेना को हराया और सरहिंद जीत लिया |


पानीपत की तिसरी लढाई


                                             Image Source : wikipedia

1680 से 1707 लगभग 27 साल चले आ रहे मुघल - मराठा युद्ध औरंगजेब के मृत्यू के बाद समाप्त हूवा | उसके बाद मराठा सरदारो मे मुघलो से हिंदुस्तान जितने की होड शुरू हुई | मराठो ने लगभग पूरा हिंदुस्तान जीत लिया | मुघल शासन सिर्फ दिल्ली तक सीमित हुवा | मराठो ने मुघल शासन खतम तो नही किया लेकिन मुघल बादशाह की हैसीयत सिर्फ मराठो के राज्यपाल जितनी बना दी |



जयप्पा शिंदे और मल्हारराव होळकर ने 23 एप्रिल 1752 के बीच दिल्ली के मुघल बादशाह के साथ "अहमदिया समझोता " किया | इस समझोते से मराठे दिल्ली के रक्षक बन गये और बदले मे मराठो को बहोत सारा पैसा मिला |



10 जनवरी 1760 को बुराडी घाट पे हुए अचानक हमले मे दत्ताजी शिंदे शहीद हुए उनका  सिर नजीबखान के गुरु कुतुबशाह ने काट डाला | जब दत्ताजी शिंदे लढाई मे मारे गये द तब उंके शरीर पे 200 से ज्यादा तलवार के घाव थे | दत्ताजी शिंदे इसके पहले एक भी लढाई हारे नही थे |



दत्ताजी शिंदे शहीद होने की खबर 15 दिन मे मराठो को मिल जानी चाहिए थी लेकीन उसे 40 दिन लग गये |


                                                 
                                                     Image Source :Panipat marathi book

14 मार्च 1760 को सदाशिवराव भाऊ के नेतृत्व मे मराठे महारास्ट्र के परतूर से पानीपत निकले | सदाशिव भाऊ के साथ लढाई करने  वाले सिपाई से ज्यादा बुनाई लोग ज्यादा थे (लश्कर के साथ तीर्थ यात्रा करने  के वाले व्यक्ति लेकीन जीन्हे लढाई लढणे नही आती उसे बुनाई कहते है  )उन्मे औरते बच्चे और बुजुर्ग लोग ज्यादा थे |सदाशिव भाऊ के साथ 40,000 से 60,000  तक सिपाई और 1,00,000 बुनाई थे |

मराठो की ये योजना थी की जून तक  यमुना नदी पार करके अबदली पे हमला करना लेकीन गंभीर जैसी छोटी नदी पार करणे मे मराठो को 1 महिना लगा | बाजीराव पेशवा को एक नदी पार करने  मे जितना समय  लगता था उसके 5 गुणा समय सदाशिवराव भाऊ को लगा |

यमुना नदी के पाणी का स्तर बहोत बड  रहा था इसलीये मराठो को यमुना नदी पार करणे मे मुसकिले आ रही थी इसलीये मराठे दिल्ली आये और दिल्ली का किल्ला जीत लिया |

दिल्ली आने के बाद मराठो ने मुघलो के तख्त के उपर का चांदी निकाला और उसके पैसों से सैनिको का वेतन दिया |  मुघलो के चांदी से मराठो को 1 महीने का राशन  मिला |

दिल्ली से मराठे कुंजपुरा चले गये | कुंजपुरा मे नजीब खान का भाई अबदुस समद खान और कुतुबशाह थे | मराठो ने कुंजपुरा जीत लिया उसमे अबदुस समद खान और कुतुबशाह जिंदा फकडे गये | मराठो ने दोनो के सिर छाट दिये | कुंजपुरा मे मराठो को अब्दली की रसद मिली |

कुंजपुरा जितने  के बाद भी यमुना नदी के पाणी का स्तर कम नही हुवा | यात्रीयों के बडते दबाव से मराठे कुरुक्षेत्र दर्शन के लीये गये |कुरूक्षेत्र मे मराठो ने 2 हफ्ते बरबाद कीये |

कुंजपुरा मे मिली हुई अब्दाली की रसद मराठा सैनिको को आराम से 3 महीने चल सक्ती थी लेकीन वो रसद तिर्थ यात्री और महिलाओ ने 3 हफ्ते मे ही खतम कर दी |

लेकीन तब तक अब्दली ने बागपत के  गौरीपुरा घाट से 23 ओक्तोंबर 1760 को यमुना नदी पार कर दी | गुलाब सिंह गुजर ने अब्दली को यमुना पार करने  का रास्ता दिखाया | 3 दिन बाद अब्दाली सदाशिव भाऊ और दिल्ली के बीच मे आया |

सदाशिव भाऊ ने पानीपत के पहले उदगीर की बहोत बडी लढाई जिती थी तो वही अब्दाली हिंदुस्तान मे पानीपत से पहले 4 बार आया था |
 
पहले देड महिना मराठो का पगडा भारी था लेकीन उसके बाद रसद के कमी से मराठो मे भूक मरी ज्यादा होने  लगी थी | 22 नवंबर को एक बहोत बडी लढाई हुई थी उसमे अब्दाली के काफी सैनिक मारे गये थे | जंकोजी शिंदे ने बहोत बडा पराक्रम किया था | उसके बाद अब्दाली ने अपनी छावनी  पीछे  हटाई |

14 जनवरी की लढाई 


अब्दाली की तोपों का मारा मराठो के तोपों  से ज्यादा था |अब्दाली के सेना  भी मराठो के सेना से बहोत ज्यादा थी | अब्दाली के पास 1,00,000 से भी ज्यादा फौज थी वही मराठो के पास 45,000 से 60,000 सेना थी |अब्दाली को नजीब खान , शुजा और रोहिलो ने मदत कि तो वही मराठो का साथ सिर्फ अलासिंह जाट ने ही मदत की |

सदाशिव भाऊ की सबसे बडी समस्या ये थी की भाऊ के पास पैसे बहोत कम थे और बुनाई लोग ज्यादा | भाऊ का दिल्ली से संपर्क भी तूट चुका था इसलीये रसद नही आ रही थी |

लढाई के पहले 3 हफ्ते मराठो के छावनी मे खाने  को अनाज नही था | मराठे पेड की पत्तीया खा रहे थे उसके बाद तो हालत इतनी बुरी हुई की मराठो को शाडू की मिटठी खा  के दिन गुजारने  पढ रहे  थे |  " तमाशा " नाम के बिमारी से मराठो के 10,000 घोडे मर गये थे |

सरदारों  के दबाव के बाद सदाशिव भाऊ  ने 14 जनवरी को लढाई करने का तय किया |

14 जनवरी 1761 को सुबह 9 बजे पानीपत की लढाई शुरू हुई | दोपहर 2 बजे तक मराठो ने बहोत वीरता दिखाई | अब्दाली के बहोत सारे बडे सरदार मारे गये |  मराठो की वीरता देख के अब्दाली इतना डर गया था की उसने अपना जनानखाना बडी सेना के साथ वापस काबुल भेजना शुरू किया | लेकीन 2 बजे  विश्वासराव को गोली लगी और वे नीचे गिर गये | ये देख कर मराठो के बुनाई लोगो ने भागना शुरू किया उनके साथ छोटे मोटे मराठा सरदार भी भागने  लगे  उन्मे सरदार मल्हार राव होळकर भी थे | मराठा सरदारो को भागते  हुए देख कर जो अफगानी  सेना भाग गयी  थी वो भी अब लढणे लगी | 4 बजे तक जो मराठा सेना जीत रही थी वो अब पुरी तरह  हार गयी |

रात को अब्दाली के सरदारों  ने कत्तल करणे की इजाजत मांगी पहले तो अब्दाली ने मना कीया लेकीन बहोत मिनत्ते  करने  के बाद अब्दाली ने इजाजत दे दी | उसके बाद अब्दाली के सेना ने पानीपत और उसके आसपास के गाँवों के सभी घर के पुरुषों को लाया  गया | उनके  हाथों पे चणे रखे, सबको पाणी पीलाया और उनका  खेल  शुरू हुवा कोण सबसे ज्यादा सिर उडाता है | उसके बाद उन सरों के 85 मीनार रचे गये |

22,000 सिपाईयो को कैदी बनाया गया | 

जब विश्वासराव  का सिर अब्दाली और उसके सरदारों ने देखा तो उन्मेसे कुछ सरदार रोने लगे और कहने  लगे की इतने सुंदर राजा को हमने क्यों मारा और कुछ सरदार कहने गये की विश्वास राव के शरीर मे हम भूसा भरके काबुल ले जाएंगे लेकीन शुजाउदौला के वकील काशीराज पंडित ने  विश्वास राव और सदाशिवभाऊ के शरीर का हिंदू रिती रिवाज से अंतिम संस्कार कीया |

इब्राहीम खान गार्दी को अब्दाली ने धीमा जहर देके मार डाला |

अब्दाली के मन मे सिखों के प्रती इतनी नफरत थी की दिल्ली लूट के दो बार वापस जाते हुए अब्दाली ने अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर को बहोत नुकसान पोहोचाया | मंदिर के सामने जो पवित्र अमृत सरोवर है उसे उसमे मिटठी , कचरे और गायो की लाशो से भर दिया | 

लढाई मे मराठो ने की हुई गलतीया 

1) मल्हारराव के कहने पे दत्ताजी शिंदे  ने  हात मे आये नजीब खान रोहिला को छोर दिया बादमे इसी नजीब ने महापराक्रमी दत्ताजी को अचानक किये हमले मे मार डाला |

2) मराठो के सेना मे  लढाई करणे वले सिपाई 45,000 से 60,000 तक थे तो बुनाई लोग 1,00,000 थे वही अब्दाली के सेना मे 1,00,000 सिपाई थे | 

3) मराठों  ने  महारास्ट्र से दिल्ली जाने तक रास्ते के सारे तीर्थक्षेत्र  के दर्शन लीये और वहा पे बहोत सारे पैसे दानधर्म मे खर्च किये | बादमे  पैसे कम होणे के कारण मराठो को भूक मरी का सामना  करना पढा |

4) मराठो के पास नदी पे लकडी का पूल बनाने की तकनीक नही थी इस वजह से मराठो का बहोत समय बरबाद हुवा |

5) मराठो के गुप्तचरों  की बार बार होणे वाली लापरवाही |दत्ताजी शिंदे लढाई मे हारे जानी की खबर 15 दिन मे मिल जानी चाहीये थी वो 40 दिन मे मिलना, सदाशिव भाऊ का रसद के लीये भेजा हुवा एक भी खत नानासाहब पेशवा को ना मिलना |

6) सबसे बडी गलती  नानासाहब ने की थी , मराठो की ये योजना थी की सदाशिव भाऊ के नेतृत्व मे एक फौज दिल्ली जाएगी उसके बाद थोडे  दिन मे नानासाहब  के नेतृत्व मे दुसरी बडी फौज उनके  मदत के लीये आयेंगी  लेकीन नानासाहब को  पानीपत मे जाने मे बहोत देर हो गयी क्यों के वो पैठण मे अपनी  दुसरी शादी मना रहे थे |

पानीपत मे लढे  हुए सरदारों की उम्र 

पानीपत की लढाई नौजवान लोगो ने लढी  हुई लढाई थी | दोनो तरफ के सरदारो की उमर बहोत कम थी |
अब्दाली की उम्र 39 साल की थी तो वही सदाशिव भाऊ की उम्र 31 साल थी | नानासाहेब और नजीब खान 40 साल के थे | दत्ताजी शिंदे  22 साल के थे |सबसे कम उम्र तो विश्वासराव और जंकोजी शिंदे की थी वो दोनो  सिर्फ 17 साल के थे | 

क्या  सच मे अब्दाली की जीत हुई 

हर लढाई लढणे के पिछे कूच ना कूच मकसद और वजह जरूर होती है बिना  किसी  मकसद के कोई भी लढाई लढी  नही जाती | अब्दाली की लढाई लढणे का मकसद दिल्ली की मुघल सल्तनत हटा के वहा फिर से एक बार अफगाणी हुकूमत लाना था | जिस तरह बाबर ने दिल्ली के अफगाणी लोदी को मार के मुघल हुकूमत शुरू की उसी तरह मूघल सल्तनत को हटा के अफगानों की हुकूमत लाना अब्दाली का मकसद था |

पानीपत के लढाई से अब्दाली को मराठो से कूच भी नही मिला | पानीपत के लढाई तक मराठो का पूरा  खजाना खतम  हुवा था |  मराठो से मिले हुए हाथी  और घोडे भी भुकमरी से बहोत बिमार थे | पानीपत के लढाई मे अब्दाली का भी बहोत बडा नुकसान हुवा था | अब्दाली के बहोत सारे बडे सरदार भी मारे गये थे | अब्दाली के  40 ,000 से भी ज्यादा सिपाई मारे गये | 

मराठो को वीरता से लढते हुए देख के खुद अब्दाली ने कहा था " मराठों  की वीरता से लढणे की क्षमता दुनिया के अन्य नस्लों से कई गुणा ज्यादा थी |  अगर आज हमारे रुस्तूम और सोराब  ने मराठो की ये वीरता देखी होती तो वो भी चोंक जाते | मराठो के भगवान ने उनका  साथ नही दिया लेकीन मेरे अल्लाह ने मेरा साथ दिया इसलीये मेरी जीत हुई | "

अब्दाली का हिंदुस्तान जल्दी छोर के भागने के दो कारण है  :-

1) पुणे से नानासाहेब पेशवा के नेतृत्व मे 1,00,000 मराठो की फौज आ रही है |

2) काबुल मे ये खबर गयी थी की पानीपत मे मराठो ने अब्दाली को हराया है इसलीये अपनी गद्दी बचाने  के लीये भागना पडा |

पानीपत के बाद 10 फरवरी 1761 को अब्दाली ने नानासाहेब एक खत लिखा उसमे अब्दाली लिखता है :-

" हमारे बीच दुश्मनी होने का कोई कारण नहीं है। आपके पुत्र विश्वासराव और आपके भाई सदाशिवराव युद्ध में मारे गए,ये बात दुर्भाग्यपूर्ण थी । भाऊ ने लड़ाई शुरू की, इसलिए मुझे अनिच्छा से वापस लड़ना पड़ा। फिर भी मुझे उनकी मृत्यु पर खेद है। कृपया पहले की तरह दिल्ली की अपनी संरक्षकता जारी रखें, क्योंकि मेरा कोई विरोध नहीं है। केवल पंजाब को तब तक रहने दो जब तक कि सत्लज  हमारे साथ नहीं है। दिल्ली के सिंहासन पर शाह आलम को फिर से स्थापित करें जैसा आपने पहले किया था और हमारे बीच शांति और दोस्ती हो, यह मेरी प्रबल इच्छा है। मुझे वह इच्छा प्रदान करें। "
अगर अब्दाली सच मे जिता होता तो वो ऐसा खत मराठो को क्यों लिखता | क्यों की अब्दाली को पता चला था की  खुद नानासाहेब पेशवा 1,00,000 मराठो की फौज लेके पानीपत का बदला लेने आ रहे है | इससे  अब्दाली डर गया था और वो फिरसे लढाई नही चाहता था | जीस नजीब खान ने अब्दाली को बुलाया था  उसको भी अब्दाली ने दिल्ली का बादशाह नही बनाया | 

पानीपत के बाद सिर्फ 10 साल मे मराठों ने फिरसे दिल्ली जीत ली और रोहिलखंड जितने  के बाद मराठो ने नजीब खान का पत्थरगड तोफे डाग के  उडा दिया |


                                                    Image Source : Panipat marathi book

महाद्जी शिंदे  के नेतृत्व मे मराठो ने दिल्ली 1761 मे जीत ली थी उसके बाद 50 सालों तक दिल्ली मराठो के पास थी 1818 मे अंग्रेजो ने  मराठो से जीत ली |

मराठो के पराक्रम से शिखों को बाद मे अब्दाली से लढणे  की प्रेरणा मिली और उसके बाद शिखों ने अब्दाली को पराजित कीया |

शशि थरुर को एक बार किसी रीपोर्टर ने एक सवाल पुछा था की अगर अंग्रेज भारत मे नही आते तो क्या  होता  तब  उन्होने जवाब दिया था की  भले ही मराठो का पानीपत मे बहोत बडा नुकसान हुवा होगा लेकीन फिर भी पूरे भारत खंड मे हिंदवी स्वराज ही रहता |   
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                    


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