महाभारत ग्रंथ महर्षि व्यास जी ने लिखा है |
महाभारत को पंचम वेद भी कहा जाता है |
महाभारत मे 1,00,000(1 लक्ष) श्लोक है |
महाभारत ग्रंथ 18 पर्व में विभाजित है (आदि पर्व , सभा पर्व , अरण्यक पर्व , विराट पर्व , उद्योग पर्व , भीष्म पर्व , द्रोण पर्व , कर्ण पर्व , शल्य पर्व ,सोप्तिक पर्व , स्त्री पर्व , शांति पर्व , अनुशासन पर्व , अश्वमेधिका पर्व , मौसुल पर्व , महाप्रस्थानिक पर्व , स्वर्गारोहण पर्व और खिल भाग (हरिवंश पर्व , इस पर्व मे श्री कृष्ण का जीवन वर्णन किया है )|
आदि पर्व मे 19 उप-पर्व और 7190 श्लोक है |
महाभारत के आदि पर्व मे सभी छोटे बडे योद्धाओं का वर्णन बहोत बारीकी से किया गया है |
महाभारत युद्ध मे पांडवो के तरफ 7 अक्षौहिणी और कौरवों के तरफ 11 अक्षौहिणी सेना थी |
प्राचीन भारत मे अक्षौहिणी सेना गिनने का सबसे बडा माप था |
अक्षौहिणी सेना को 4 भागों मे विभाजित होती है -
1. रथ
2. गज (हाथी सवार)
3.घुड़सवार
4. पैदल सैनिक
अक्षौहिणी के सबसे छोटे भाग को पंक्ति कहते है |
पंक्ति:-
एक पंक्ति (पत्ती) मे 1 रथ , 1 हाथी ,3 घुड़सवार ,5 पैदल सैनिक होते है |
पंक्ति = 1 रथ + 1 हाथी + 3 घुड़सवार+ 5 पैदल सैनिक
पंक्ति:-
एक पंक्ति (पत्ती) मे 1 रथ , 1 हाथी ,3 घुड़सवार ,5 पैदल सैनिक होते है |पंक्ति = 1 रथ + 1 हाथी + 3 घुड़सवार+ 5 पैदल सैनिक
सेना-मुख :-
3 पंक्ति को मिला के 1 सेना-मुख बनता है |
3 x 1 पंक्ति = 1 सेना-मुख
सेना-मुख = 3 रथ + 3 हाथी + 9 घुड़सवार + 15 पैदल सैनिक
गुल्म :-
3 सेना-मुख को मिला के 1 गुल्म बनता है |
3 x सेना-मुख = 1 गुल्म
गुल्म = 9 रथ + 9 हाथी + 27 घुड़सवार + 45 पैदल सैनिक
गण :-
3 गुल्म मिला के 1 गण बनता है |
3 x गुल्म = 1 गण
गण=27 रथ + 27 हाथी + 81 घुड़सवार + 135 पैदल सैनिक
वाहिनी :-
3 गण को मिला के 1 वाहिनी बनता है |
3 x गण = 1 वाहिनी
वाहिनी = 81 रथ + 81 हाथी + 243 घुड़सवार + 405 पैदल सैनिक
पृतना :-
3 वाहिनी को मिला के 1 पृतना बनता है |
3 x वाहिनी = 1 पृतना
पृतना =243 रथ + 243 हाथी + 729 घुड़सवार + 1215 पैदल सैनिक
चमू :-
3 पृतना को मिला के 1 चमू बनता है |
3 x पृतना = 1 चमू
चमू = 729 रथ + 729 हाथी + 2187 घुड़सवार + 3645 पैदल सैनिक
अंत-किनी:-
3 चमू को मिला के 1 अंतकिनी बनता है |
3 x चमू = 1 अंतकिनी
अंत किनी =2187 रथ + 2187 हाथी + 6561 घुड़सवार + 10,935 पैदल सैनिक
अक्षौहिणी:-
10 अंत किनी को मिला के 1 अक्षौहिणी बनती है |
10 x अंत किनी = अक्षौहिणी
अक्षौहिणी =21,870 रथ + 21,870 हाथी + 65,610 घुड़सवार + 1,09,350 पैदल सैनिक
अक्षौहिणी = 21,870 + 21,870 + 65,610 + 109350=2,18,700 सैनिक
मतलब 1 अक्षौहिणी सेना मे रथ ,हाथी,घुड्सवर और पैदल सैनिक मिला के 2,18,700 सैनिक होते थे |
पांडवो के पास 7 अक्षौहिणी सेना थी :-
रथ =7 x 21,870=1,53,090
हाथी = 7 x 21,870 = 1,53,090
घुड़सवार = 7 x 65,610 =4,59,270
पैदल सैनिक = 7 x 1,09,350 = 7,65,450
कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी :-
रथ =11 x 21,870=2,40,570
हाथी = 11 x 21,870 = 2,40,570
घुड़सवार = 11 x 65,610 =7,21,710
पैदल सैनिक = 11 x 1,09,350 = 12,02,850
18 अक्षौहिणी = 18 x 2,18,700 =39,36,600 सैनिक
महाभारत के धर्मयुद्ध मे दोनो तरफ से लगबग सभी योद्धा और सैनिक मारे गये सिर्फ 12 योद्धा बचे थे |
कौरवों के कृतवर्मा , कृपाचार्य ,अश्वत्थामा , वृषकेतू (कर्ण पुत्र ) और पांडवो के तरफ के 5 पांडव , कृष्णा ,सत्यकी और यूयुतसू (कौरव ) बचे |
महाभारत में अक्षौहिणी सेना कहां कहां से आइ थी :-
पांडवो के तरफ :-
1. सत्यकी (यादव ) = 1 अक्षौहिणी
2. माल्याध्वजा राजा (पंड्या , चोला ,चेरा ) = 1 अक्षौहिणी
3. धृष्टकेतू(चेदी) = 1 अक्षौहिणी
4. सहदेव जरासंध का बेटा (मगध ) = 1 अक्षौहिणी
5. द्रुपद(पांचल ) = 1 अक्षौहिणी
6. विराट (मत्स्य देश ) = 1 अक्षौहिणी
7. घटोत्कच (काम्यक वन , राक्षस ) = 1 अक्षौहिणी
कौरवो के तरफ :-
1. भागदत्त (प्राग्ज्योतिष , असम) = 1 अक्षौहिणी
2. शल्य (मद्र देश ) = 1 अक्षौहिणी
3. कर्ण (अंग देश ) = 1 अक्षौहिणी
4. कृतवर्मा (यादव ,नारायणी सेना ) = 1 अक्षौहिणी
5. जयद्रथ (सिंधु ) = 1 अक्षौहिणी
6. सुदक्षिण (कंभोज )= 1 अक्षौहिणी
7. बाहलिक(बाहलिक )= 1 अक्षौहिणी
सबसे वृद्ध योद्धा
8. कलिंगा = 1 अक्षौहिणी
9. शकुनी (गांधार) = 1 अक्षौहिणी
10. शुशर्मा (त्रिगर्त) = 1 अक्षौहिणी
11. कुरू (हस्तिनापुर) = 1 अक्षौहिणी
महाभारत के योद्धाओ की श्रेणी :-
पैदल सैनिक:-
महाभारत के समय पैदल सैनिक को पदातिक कहते थे |
महाभारत के समय पैदल सैनिक श्रेणी सबसे निचली श्रेणी होती थी |
पैदल सैनिक धनुष , भाला , ढाल, तलवार ,गदा से लडते थे |
अश्वारोही :-
1 अश्वारोही 12 पैदल सैनिक (पदातिक ) के बराबर होता है मतलब 1 अश्वारोही 12 पैदल सैनिको के साथ लढ सकता है और उन्हको युद्ध मे हरा सकता है |
1 अश्वारोही = 12 पैदल सैनिक
गज :-
1 गज की ताकद 12 अश्वारोही सैनिको के बराबर होती है |
1 गज = 12 अश्वारोही
1 गज = अर्धरथी
रथी :-
रथी मतलब रथस्वार सैनिक |
1 रथी मे एक साथ 5000 योद्धावों के साथ लढणे की क्षमता होती है |
1 रथी 12 अर्ध-रथी को हराने की ताकद रखता है |
1 रथी = 12 अर्ध-रथी
कौरवों के तरफ के रथी :-
सुदक्षिण, दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण, दूषाशान , दुषाशान पुत्र दुर्मसेन , दुर्योधन के सभी भाई , जयद्रत , विंद , अनुविंद , शकुनी |
पांडवो के तरफ के रथी :-
उत्तम , शिखंडी , युधिष्ठिर, सहदेव, नकुल , चेकितान , चंद्रसेन , व्याग्रदत्त , नील , शंख , सुकूमार , सूर्यदत्त , कासिका
भीम और दुर्योधन 8 रथीयों के बराबर थे (फिर भी दुर्योधन भीम से अधिक बलशाली था )|
अतिरथी :-
12 रथीयो को मिला के 1 अतिरथी बनता है |
1 अतिरथी = 12 रथी
1 अतिरथी = 12 x 5000 = 60,000
सेना-मुख :-
सेना-मुख = 3 रथ + 3 हाथी + 9 घुड़सवार + 15 पैदल सैनिक
गुल्म :-
गुल्म = 9 रथ + 9 हाथी + 27 घुड़सवार + 45 पैदल सैनिक
गण :-
वाहिनी :-
पृतना :-
3 वाहिनी को मिला के 1 पृतना बनता है |
चमू :-
3 पृतना को मिला के 1 चमू बनता है |
अंत-किनी:-
3 चमू को मिला के 1 अंतकिनी बनता है |
3 x चमू = 1 अंतकिनी
अक्षौहिणी:-
अक्षौहिणी =21,870 रथ + 21,870 हाथी + 65,610 घुड़सवार + 1,09,350 पैदल सैनिक
मतलब 1 अक्षौहिणी सेना मे रथ ,हाथी,घुड्सवर और पैदल सैनिक मिला के 2,18,700 सैनिक होते थे |
पांडवो के पास 7 अक्षौहिणी सेना थी :-
रथ =7 x 21,870=1,53,090
हाथी = 7 x 21,870 = 1,53,090
पैदल सैनिक = 7 x 1,09,350 = 7,65,450
कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी :-
रथ =11 x 21,870=2,40,570
हाथी = 11 x 21,870 = 2,40,570
घुड़सवार = 11 x 65,610 =7,21,710
पैदल सैनिक = 11 x 1,09,350 = 12,02,850
18 अक्षौहिणी = 18 x 2,18,700 =39,36,600 सैनिक
महाभारत के धर्मयुद्ध मे दोनो तरफ से लगबग सभी योद्धा और सैनिक मारे गये सिर्फ 12 योद्धा बचे थे |
कौरवों के कृतवर्मा , कृपाचार्य ,अश्वत्थामा , वृषकेतू (कर्ण पुत्र ) और पांडवो के तरफ के 5 पांडव , कृष्णा ,सत्यकी और यूयुतसू (कौरव ) बचे |
महाभारत में अक्षौहिणी सेना कहां कहां से आइ थी :-
1. सत्यकी (यादव ) = 1 अक्षौहिणी
2. माल्याध्वजा राजा (पंड्या , चोला ,चेरा ) = 1 अक्षौहिणी
3. धृष्टकेतू(चेदी) = 1 अक्षौहिणी
4. सहदेव जरासंध का बेटा (मगध ) = 1 अक्षौहिणी
5. द्रुपद(पांचल ) = 1 अक्षौहिणी
6. विराट (मत्स्य देश ) = 1 अक्षौहिणी
7. घटोत्कच (काम्यक वन , राक्षस ) = 1 अक्षौहिणी
कौरवो के तरफ :-
1. भागदत्त (प्राग्ज्योतिष , असम) = 1 अक्षौहिणी
2. शल्य (मद्र देश ) = 1 अक्षौहिणी
3. कर्ण (अंग देश ) = 1 अक्षौहिणी
4. कृतवर्मा (यादव ,नारायणी सेना ) = 1 अक्षौहिणी
5. जयद्रथ (सिंधु ) = 1 अक्षौहिणी
6. सुदक्षिण (कंभोज )= 1 अक्षौहिणी
7. बाहलिक(बाहलिक )= 1 अक्षौहिणी
सबसे वृद्ध योद्धा
8. कलिंगा = 1 अक्षौहिणी
9. शकुनी (गांधार) = 1 अक्षौहिणी
10. शुशर्मा (त्रिगर्त) = 1 अक्षौहिणी
11. कुरू (हस्तिनापुर) = 1 अक्षौहिणी
महाभारत के योद्धाओ की श्रेणी :-
पैदल सैनिक:-
महाभारत के समय पैदल सैनिक को पदातिक कहते थे |
महाभारत के समय पैदल सैनिक श्रेणी सबसे निचली श्रेणी होती थी |
पैदल सैनिक धनुष , भाला , ढाल, तलवार ,गदा से लडते थे |
अश्वारोही :-
1 अश्वारोही 12 पैदल सैनिक (पदातिक ) के बराबर होता है मतलब 1 अश्वारोही 12 पैदल सैनिको के साथ लढ सकता है और उन्हको युद्ध मे हरा सकता है |
1 अश्वारोही = 12 पैदल सैनिक
गज :-
1 गज की ताकद 12 अश्वारोही सैनिको के बराबर होती है |
1 गज = 12 अश्वारोही
1 गज = अर्धरथी
रथी :-
रथी मतलब रथस्वार सैनिक |
1 रथी मे एक साथ 5000 योद्धावों के साथ लढणे की क्षमता होती है |
1 रथी मे एक साथ 5000 योद्धावों के साथ लढणे की क्षमता होती है |
1 रथी 12 अर्ध-रथी को हराने की ताकद रखता है |
1 रथी = 12 अर्ध-रथी
पांडवो के तरफ के रथी :-
उत्तम , शिखंडी , युधिष्ठिर, सहदेव, नकुल , चेकितान , चंद्रसेन , व्याग्रदत्त , नील , शंख , सुकूमार , सूर्यदत्त , कासिका
कौरवों के तरफ के रथी :-
सुदक्षिण, दुर्योधन पुत्र लक्ष्मण, दूषाशान , दुषाशान पुत्र दुर्मसेन , दुर्योधन के सभी भाई , जयद्रत , विंद , अनुविंद , शकुनी |
पांडवो के तरफ के रथी :-
उत्तम , शिखंडी , युधिष्ठिर, सहदेव, नकुल , चेकितान , चंद्रसेन , व्याग्रदत्त , नील , शंख , सुकूमार , सूर्यदत्त , कासिका
भीम और दुर्योधन 8 रथीयों के बराबर थे (फिर भी दुर्योधन भीम से अधिक बलशाली था )|
अतिरथी :-
12 रथीयो को मिला के 1 अतिरथी बनता है |
1 अतिरथी = 12 रथी
1 अतिरथी = 12 x 5000 = 60,000
कौरवों के तरफ के अतिरथी :-
कृत्वर्मा , शल्य , बाह्लिक , भूरिश्रवा , कृपाचार्य
पांडवो के तरफ के अतिरथी :-
सत्यकी, धृष्टद्युम्न ,कुन्तिभोज ,घटोत्कच, सत्यजित , यूयुत्सु
महारथी :-
1 महारथी की ताकद 12 अतिरथियो के बराबर होती है |
महारथी सभी अस्त्रो मे निपुण होता है |
महारथी को सभी व्यूह का ज्ञान होता है |
"महारथी" महाभारत मे योद्धाओ की सबसे बडी श्रेणी है |
1 महारथी = 12 अतिरथी
1 महारथी = 12 x 60,000
1 महारथी = 7,20,000
सत्यकी, धृष्टद्युम्न ,कुन्तिभोज ,घटोत्कच, सत्यजित , यूयुत्सु
महारथी :-
1 महारथी की ताकद 12 अतिरथियो के बराबर होती है |
महारथी सभी अस्त्रो मे निपुण होता है |
महारथी को सभी व्यूह का ज्ञान होता है |
"महारथी" महाभारत मे योद्धाओ की सबसे बडी श्रेणी है |
1 महारथी = 12 अतिरथी
1 महारथी = 12 x 60,000
1 महारथी = 7,20,000
कौरवों के तरफ के महारथी :-
अलंभूषा (राक्षस)
भाग्दत्त (आसाम का राजा,नरकासुर पुत्र )
वृषसेन(कर्ण पुत्र )
द्रोणाचार्य
अश्वत्थामा
भीष्म
सूर्यपुत्र कर्ण
पांडवो के तरफ के महारथी :-
विराट
द्रूपद (पांचाल )
अभिमन्यु(अर्जुन पुत्र )
धृष्टकेतु(शिशुपाल पुत्र)
अर्जुन
पितामह भीष्म , अर्जुन और कर्ण की ताकद 2 महारथियो के बराबर थी |
सूर्यपुत्र कर्ण
पांडवो के तरफ के महारथी :-
विराट
द्रूपद (पांचाल )
अभिमन्यु(अर्जुन पुत्र )
धृष्टकेतु(शिशुपाल पुत्र)
अर्जुन
पितामह भीष्म , अर्जुन और कर्ण की ताकद 2 महारथियो के बराबर थी |
अति -महारथी :-
महाभारत का एक भी योद्धा अति-महारथी श्रेणी मे नही आता |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जिसके पास तीनो भगवान के अस्त्र हो याने के ब्रम्हस्त्र , पाशुपतास्त्र और वैष्णवास्त्र |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जो एक साथ 12 महारथीयों को हरा सके |
सिर्फ इंद्रजीत ही ऐसा योद्धा है जो अति- महारथी श्रेणी मे आता है |
रामायण और महाभारत का कोई भी योद्धा महा-महारथी श्रेणी मे नही आता |
1 महा-महारथी 24 अति-महारथीयों के बराबर होता है |
सिर्फ अश्वत्थामा मे महा-महारथी बनणे की ताकद थी लेकिन ये बात अश्वत्थामा को मालूम नही थी (अश्वत्थामा रुद्र के अवतार थे )|
भगवान शंकर ,विष्णु ,ब्रम्हा , गणेश , कार्तिकेय, दुर्गा महा-महारथी योद्धाओ की श्रेणी मे आते है |
अति -महारथी :-
महाभारत का एक भी योद्धा अति-महारथी श्रेणी मे नही आता |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जिसके पास तीनो भगवान के अस्त्र हो याने के ब्रम्हस्त्र , पाशुपतास्त्र और वैष्णवास्त्र |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जो एक साथ 12 महारथीयों को हरा सके |
सिर्फ इंद्रजीत ही ऐसा योद्धा है जो अति- महारथी श्रेणी मे आता है |
महाभारत का एक भी योद्धा अति-महारथी श्रेणी मे नही आता |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जिसके पास तीनो भगवान के अस्त्र हो याने के ब्रम्हस्त्र , पाशुपतास्त्र और वैष्णवास्त्र |
अति-महारथी वो योद्धा होता है जो एक साथ 12 महारथीयों को हरा सके |
सिर्फ इंद्रजीत ही ऐसा योद्धा है जो अति- महारथी श्रेणी मे आता है |
रामायण और महाभारत का कोई भी योद्धा महा-महारथी श्रेणी मे नही आता |
1 महा-महारथी 24 अति-महारथीयों के बराबर होता है |
सिर्फ अश्वत्थामा मे महा-महारथी बनणे की ताकद थी लेकिन ये बात अश्वत्थामा को मालूम नही थी (अश्वत्थामा रुद्र के अवतार थे )|
भगवान शंकर ,विष्णु ,ब्रम्हा , गणेश , कार्तिकेय, दुर्गा महा-महारथी योद्धाओ की श्रेणी मे आते है |
8 टिप्पणियाँ
Nice vishal, खूप सोपी आहे विस्तृत माहिती
जवाब देंहटाएंthanks
हटाएंVery good information
जवाब देंहटाएंArun Dharmadhikari
जवाब देंहटाएंमाहिती सर्वश्रुत होणे काळाची गरज
रामायण में हनुमान जी भी तो रूद्र अवतार थे, तो वो महा महारथी क्यों नहीं??
जवाब देंहटाएंरामायण के कुल 300 अनुवाद है | उन्मे से कुछ मे भगवान हनुमान जी का वर्णन महारथी किया है तो कुछ मे अति-महारथी किया है | भगवान शंकर , विष्णु ,ब्रम्हा ,महादेवी दुर्गा , गणेश जी और कार्तिकेय को महा-महारथी कहा जाता है | कुछ ग्रंथों मे भगवान सूर्य देव , इंद्र और यम को भी महा महारथी कहा गया है |
हटाएंइसका मतलब यह नही होता कि भगवान हनुमानजी कम शक्तिशाली है |
महाभारत मे शिखंडी ने पितामह भीष्म को हराया था | शिखंडी एक रथी थे तो पितामह भीष्म महारथी थे | रामायण मे लक्ष्मण जी ने इंद्रजीत का वध किया था |लक्ष्मण जी महारथी थे तो वही इंद्रजीत अति-महारथी |
Navin pidila Mahabharatachi vistrut mahiti labhali.Tanchya nyanatat bhar padel.
जवाब देंहटाएंभारत के प्राचीन इतिहास के बारे मे सबको विस्तृत रूप से
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