StatCounter

Header Ads

जाणिये कैसे अर्जुन अपनी ही बहण दुशाला के पती और पुत्र के मृत्यू का कारण बना | Why Arjun kill his own sister Dushala's husband

कौरवों की बहन दुशाला का  जीवन चरित्र 

                                                      Image Source:-webneel.com

धर्म युद्ध महाभारत की कहानी न केवल हमारे भारत देश में अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बड़े-बड़े विद्वान एवं शोधकर्ता इसकी वास्तविकता को समझने के लिए निरंतर समय-समय से इस विषय पर शोध एवं कथा अभ्यास करते हुए आए हैं। किसी भी प्रकार का युद्ध करने वाले दो प्रतिद्वंद्वियों एवं उनके राज्य की प्रजा के ऊपर बहुत ही गहरा प्रभाव छोड़ता है। महाभारत कथा के अनुसार बताया जाता है , कि यदि किसी भी प्रकार की लड़ाई धर्म या फिर सत्य के स्थापना के लिए लड़ी जा रही है , तो वह अपनी जगह पर बिल्कुल सही है। महाभारत ग्रंथ में लगभग हम सभी लोगों ने सभी पात्रों के बारे में जाना है , समझा है और सुना भी है। यहां तक कि हमने 100 कौरवों एवं पांडवों एवं उनकी पत्नियों के बारे में भी पौराणिक कथा में या फिर चलचित्र में देखा सुना है। इसके अतिरिक्त हमने कौरवों पांडवों के पुत्रों संबंधित भी कई सारी कहानियां सुनी हैं एवं पड़ी हुई है। महाभारत जैसी धर्म युद्ध कथा के बारे में लगभग हर एक व्यक्ति जानता है और उसमें मौजूद पात्रों के बारे में भी ज्ञान रखता है। मगर महाभारत के सभी पात्र में एक ऐसा पात्र भी मौजूद है , जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। वह पात्र कोई और नहीं स्वयं कौरवों की बहन है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि कौन थी कौरवों की बहन और क्या है , उसका जीवन चरित्र चित्रण। यदि आप यह रोचक जानकारी जानना चाहते हैं , तो हमारे इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें।




100 कौरवों की बहन कौन थी ?


    



अक्सर  महाभारत की कथा में एवं बड़े बड़े विद्वानों के मुख से सुनते आए हैं , कि महाभारत में 100 कौरव थे। मगर क्या आप सभी लोग जानते हैं ? कि कौरवों की एक बहन भी थी , जिसका जिक्र हमें बहुत कम सुनने एवं देखने को मिला है। गांधारी और धृतराष्ट्र के सौ पुत्र और  एक पुत्री थी , जिनका नाम 'दुशाला' था।  मगर क्या महाभारत के पूरे कथा में दुशाला का कोई गहरा एवं महत्वपूर्ण किरदार था ? और इसके अतिरिक्त क्या महाभारत युद्ध होने के पीछे दुशाला का भी कोई संबंध था। यह जानने के लिए हमारे लेख कों आगे पढ़ें।


कौरवों की बहन दुशाला का जन्म किस प्रकार हुआ ?



महाभारत कथा के अनुसार महारानी गांधारी को  सौ पुत्रों का वरदान प्राप्त हुआ था। जब महारानी गांधारी गर्भवती हुई , तो उनका गर्भ  2 साल तक ठहरा रहा। मगर जब गर्भ  बाहर आया तो गांधारी के गर्भ में से एक बड़ा सा मांस का गोला जमीन पर आकर गिर गया था। पुत्र प्राप्ति ना होने के कारण गांधारी निराश और हताश हो जाती है और इस मांस के गोले को फेंकने का निर्णय लेती है। ऐसे ही गांधारी इसे फेंकने के लिए जाती है , वैसे ही सौभाग्य से ऋषि वेदव्यास वहां उपस्थित हो जाते हैं। फिर गांधारी ने सारी घटना का वर्णन महर्षि वेदव्यास के सामने कर दिया। फिर इसके बाद महर्षि वेदव्यास जी ने इन मांस के गोलों को 100 टुकड़ों में विभाजित करने का उपाय बताएं। उन्होंने बताया , कि इन मांस के टुकड़ों को 100 टुकड़ों में विभाजित होने के बाद अलग-अलग मटकीयों में घी और कुछ  रहस्यमय रसायनों  के साथ रखा गया  और फिर गांधारी ने महर्षि वेदव्यास द्वारा बताएं उपाय को किया। फिर कुछ समय बीतने के बाद उन मटकीयों को एक-एक करके तोड़ा गया और फिर इसी प्रकार से 100 कौरवों ने जन्म लिया। पौराणिक कथाओं एवं विद्वानों के अनुसार जब इस गोलें को 100 टुकड़ों में विभाजित किया जा रहा था , तब एक टुकड़ा बच गया था। फिर आगे चलकर इसी बच्चे हुए टुकड़े के माध्यम से कौरवों की बहन दुशाला का जन्म हुआ।


दुशाला का विवाह किसके साथ हुआ ?


जैसा , कि दुशाला कौरवों एवं पांडवों की इकलौती बहन थीं। जिस प्रकार के सभी कौरवों एवं पांडवों को राजशाही सुविधाएं प्रदान की जाती थी , उसी प्रकार से राजकुमारी दुशाला को भी हर एक सुख सुविधाएं प्रदान की गई थी। जब दुशाला विवाह योग्य हो गई तब उनका विवाह सिंधु राज के राजा जयद्रथ से किया गया। पौराणिक एवं महाभारत की कथा के अनुसार कहा जाता है कि जयद्रथ को उनकी सूर्य वीरता के लिए जाना जाता था लेकिन इसके विपरीत एक और बात थी , जिसके कारण जयद्रथ जाने जाते थे , वह था उनका दोहरा व्यक्तित्व। कभी-कभी राजा जयद्रथ बहुत अच्छे से अच्छे व्यवहार करने से  बुद्धिमानी  कहलाये जाते  थे , परंतु इसके विपरीत व महिलाओं के प्रति बेहद बुरे से बुरे व्यवहार पर भी उतर आते थे और जिसका कई बार स्वयं दुशाला भी शिकार हुई थी । इसके अतिरिक्त आपने महाभारत की कथा में यह तो सुना ही होगा , कि राजा जयद्रथ ने पांडवों की पत्नी द्रोपदी के साथ भी दुर्व्यवहार करने का दुस्साहस किया था।जब पांडवों को इस बारे में पता चला तब उन्होंने जयद्रथ को मृत्युदंड देने का निर्णय किया , परंतु कौरवों एवं पांडवों की इकलौती बहन के पति होने के कारण उन्होणे उसे जीवनदान दिया । इसी बात का अंदाजा आप लगा सकते हैं , कि महिलाओं के प्रति जयद्रथ का व्यवहार किस प्रकार का था।



विवाह होने के बाद दुशाला का वैवाहिक जीवन किस प्रकार रहा ?


दुशाला ने विवाह होने के बाद जयद्रथ के अनेकों अत्याचार सहे और ऐसे ऐसे अत्याचार जयद्रथ दुशाला उसके साथ किया करता था , कि वह इसका वर्णन किसी के साथ नहीं किया करती थी। दुशाला ने अपने प्रति से हो रहे दुर्व्यवहार का किसी भी  प्रकार से विरोध करणे मे वो असमर्थ थी । यही कारण है , कि वह सब कुछ सहती  गई और विवाह होने के बाद उसका पूरा जीवन ही बदल कर रह गया था। एक अच्छे राजशाही परिवार में विवाह होने के बाद भी राजकुमारी दुशाला हर एक दुख को सहती रही और किसी से कुछ ना कह सकी थी।




दुशाला के पति जयद्रथ की मृत्यु ?


जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ होने वाला था तब दुर्योधन अपने सगे संबंधियों एवं जानने वालों के पास जाकर युद्ध करने के लिए आमंत्रण दिया करता था। ऐसे में दुर्योधन ने अपने बहनोई जयद्रथ के पास भी जाकर उनको युद्ध में आमंत्रित किया। जयद्रथ ही एक ऐसा व्यक्ति था जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंसा था , तो उसने ही अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की हत्या की थी। जैसे ही अर्जुन को पता चला कि उसके बहनोई जयद्रथ ने धोखे से अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को मार दिया है , वैसे ही अर्जुन प्रण लेता है , कि वह जयद्रथ को स्वयं अपने हाथों से ही मारेगा। भगवान श्री कृष्ण की माया की सहायता से अर्जुन ने  ही जयद्रथ के सर को धड़ से अलग कर दिया और अपने प्रण को पूरा किया। इसी के साथ दुशाला के जीवन में जो थोड़ी बहुत खुशियां आती है , वह भी दुख में परिवर्तित हो गई।



दुशाला के पुत्र के मृत्यु के बाद दुशाला का जीवन किस प्रकार बिखरने वाला था ?



विद्वानों एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तब कुछ वर्षों पश्चात अर्जुन ने अश्वमेघ यज्ञ करने हेतु सिंधु राज में गलती से प्रवेश कर दिया। उस समय काल में दुशाला का पुत्र ही सिंधु राज का राजा हुआ करता था। अपने पिता यानी के जयद्रथ के हत्यारे अर्जुन के अपने राज्य में प्रवेश करने की खबर सुनकर दुशाला का पुत्र घबरा जाता है | दुशाला के पुत्र को लगता है  की अभिमन्यु के मृत्यू का बदला  अर्जुन और भीम, सिंधु  राज्य  से लेणे उंके राज्य आये है   और ईसी  डर से बेहोश होता है । पहले पति की मृत्यू  और फिर पुत्र के बेहोश होने  से  दुशाला अपने सिंधु राज्य की रक्षा करणे के लीये खुद अर्जुन और भीम से लढणे के लीये युद्ध भूमी मे पोहोछ थी है । अपनी इकलौती बहन को युद्धभूमी मे सैन्य का नेतृत्व करते हुए देख कर अर्जुन और भीम चौक गये क्युं की वो सिंधु राज्य मे अपनी  बहन  से मिलने  आये थे  ना की युद्ध करणे | अर्जुन के  पहल से युद्ध रुका और फिरसे एक बार भाई बहन एक हुए |  अर्जुन ने अपनी बहन की बात सुनते हुए दुशाला के पुत्र  सुरथ   को सिंधु राज्य का सम्मान पूर्वक शासन प्रदान किया और वहां का उसे राजा घोषित किया।




निष्कर्ष :-


दुशाला के पूरे जीवन परिचय से हमें पता चलता है , कि महाभारत के पूरे कथा में उसका किसी भी प्रकार का चरित्र महाभारत की युद्ध के पीछे होने का नहीं था। वह एक ऐसी महिला थी , जो विवाह करने के बाद भी सुखी जीवन नहीं जी सकीं। जयद्रथ जब तक जिंदा था , तब तक वह दुशाला के ऊपर अनेकों प्रकार के अत्याचार करता था। परंतु दुशाला ने अपने एवं अपने पति के सम्मान के लिए अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का वर्णन किसी से भी नहीं किया और ना ही इसके प्रति कभी भी आवाज उठाई थी। यदि इस अनकही एवं अनसुनी कहानी के बारे में सुनकर आपको अच्छा लगा हो तो इसे आप अपने मित्रजन एवं परिजन के साथ आपसे साझा करें। अपने विचारों एवं अपने राय को हमारे साथ साझा करने के लिए कमेंट बॉक्स का प्रयोग करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ