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What is Bramhastra | ब्रह्मास्त्र क्या होता है और किसने किया था इसका उपयोग ?

जानिए क्या है ब्रम्हास्त्र?


आज के वक़्त में दुनिया के सबसे विध्वंसक हथियार  की बात करें, तो वह बेशक परमाणु बम या हायड्रोजन बम है। हम सबने  परमाणु बम की भयानकता  को जापान   के दो शहरों में देख लिया है। आजकल  हम अक्सर यह कहते पाए जाते हैं की  आज विज्ञान ने  बहुत तरक्की  कर ली   है। हम इंसानो ने  कई तरह के हथियार बना लिए हैं, पर ऐसा पहली  बार नही हो रहा है। हमारा देश भारत एक ऐसा देश हैं, जहां की  ज्ञान-विज्ञान  पूरी दुनिया में प्राचीन काल से है  ही अव्वल  रहा है। इसके प्रमाण हमारे शास्त्रो  में देखे जा सकते हैं। हमारे शास्त्रो  में वर्णीत  अस्त्र  और शस्त्र  के बारे में जब हम पढ़ेंगे तो पाएंगे  कि   वो बहुत ज्यादा विध्वंसकारी थे । इन्ही कुछ वर्णीत  विध्वंसक  अस्त्रो मे से एक था  ब्रह्मास्त्र।

आपने  यदा कदा रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक  टीवी सिरियलो  में इस अस्त्र  के बारे में जरूर सुना होगा। इस अस्त्र  के बारे में यह कहा जाता है कि  इस अस्त्र  में इतनी    शक्ति थी कि  इससे पूरी पृथ्वी तबाह हो सकती थी । इसके घातक परिणाम का व्याखायन  खुद महाभारत में कीया  गया है। महाभारत में लिखा है कि

“अत्यंत  शक्तिशाली  विमान  से एक शक्ति – युक्त  अस्त्र  प्रक्षेपित  किया  गया…धुएँ के साथ अत्यंत  चमकदार ज्वाला , जिसकी  चमक दस हजार सूयों की चमक के बराबर थी , इसका अत्यन्त भव्य स्तंभ  उठा…वह वज्र के समान  अज्ञात अस्त्र  साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था , जिसने  वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया …उनके  शव इस प्रकार से जल  गए थे  कि पहचानने  योग्य नही थे । उंके  बाल  और नाखुन  अलग  होकर गिर गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे …कुछ ही घंटो  में समस्त खाद्य पदार्थ  संक्रमित  होकर विषेले   हो गए…उस अग्नी  से बचणे  के लिए योद्धाओं ने  स्वयं को अपने  अस्त्र-शस्त्रो  सहित  जलधाराओ    में डुबा लिया …”

आखिर क्या है ब्रम्हास्त्र?



 ब्रम्हास्त्र के नाम  से ही स्पष्ट है कि  इस अस्त्र  का निर्माण  खुद ब्रम्हदेव ने किया था । इस अस्त्र को भी  सभी अस्त्रो  से ऊपर रखा गया है। इसके पीछे के कारण भी बहुत बड़े हैं। इस अस्त्र  की सबसे बड़ी खासियत  यह थी कि  यदी  एक बार इस अस्त्र  को कोई छोड़ दे तो यह अस्त्र  सिर्फ  दूसरे ब्रम्हास्त्र  से ही रोका जा सकता था । अन्यथा नही । यदी  किसी  योद्धा के पास ब्रम्हास्त्र  नही  है, तो वह इसके प्रहार को नही  रोक सकता है। इस प्रकार यह हथियार बहुत घातक बन  जाता था । हालांकी   यह हथियार कुछ गिने-चुने   योद्धाओं के पास ही था ।




ब्रम्हास्त्र के प्रकार 

ब्रम्हास्त्र

ब्रम्हा ने सृष्टि कि रचना कि है | जिन तत्वो से इस सृष्टि कि रचना कि है उन तत्वो को पहचान कर ब्रम्हा  ने एक ऐसे अस्त्र   कि रचना कि जो  उन सभी तत्वो को संपूर्ण विनाश कर सकता था उसे ब्रम्हास्त्र कहा जाता है | ब्रम्हास्त्र शत्रू का समूल विनाश करणे मे सक्षम है |एक मान्यता के अनुसार प्रभू  श्री राम ने रावण का वध ब्रम्हास्त्र से ही किया था |

ब्रम्हशिरास्त्र


ब्रम्हशिरास्त्र  ब्रम्हस्त्र से 4 गुणा शक्तीशाली होता है | ब्रम्हशिरास्त्र  से  देवताओ का भी वध  कीया  जा सकता था |
ब्रम्हशिरास्त्र को अगर पुरी शक्ति से इस्तेमाल किया जाये तो वो पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता था | महाभारत मे ब्रम्हशिरास्त्र का ज्ञान  अर्जुन ,अश्वत्थामा ,पितामह भीष्म और गुरु द्रोण को  था |

ब्रह्मांड अस्त्र


ब्रम्हास्त्र का सबसे शक्तिशाली रूप   ब्रह्मांड अस्त्र  है | ब्रह्मांड अस्त्र  ब्रम्हास्त्र से 5 गुणा शक्तिशाली होता है | ब्रह्मांड अस्त्र 14 आकाशगंगाओ को नष्ट करणे कि क्षमता रखता है | महाभारत मे गुरु द्रोण ब्रह्मांड अस्त्र का उपयोग पांडवो  पे करणे वाले थे लेकीन देवताओ के कहने  पे गुरु द्रोण ने इसका उपयोग नही किया | ब्रह्मांड अस्त्र का उपयोग करना महाभारत मे पितामह भीष्म, गुरु द्रोण और महारथी कर्ण को पता था | ब्रह्मांड अस्त्र को सिर्फ एक बार हुवा था वो भी सिर्फ बचाव के लीये |    


ब्रह्मास्त्र मंत्र साधना

ब्रम्हास्त्र का साधना  गायत्री मंत्र से कीय जाता था | लेकीन इसके कई  सारे जटिल नियम है |    

कोण चला सकता था ब्रम्हस्त्र :-


सृष्टि के निर्माता  भगवान ब्रह्मा ने ब्रम्हास्त्र  का निर्माण कीया | ब्रम्हा  ने  ही मनुष्य, देवता और रक्षसो को बनाया था  लेकीन ,राक्षस  देवताओ  हराने  लगे तब राक्षसो को मारणे के लीये ब्रम्हा ने ब्रम्हस्त्र का निर्माण कीया  | ब्रम्हा जी ने ये अस्त्र देवताओ को दिया था  | देवताओ ने इसका द्यान गांधर्वो को दिया | गांधर्वो ने इसका द्यान मनुष्यो  को दिया  | ब्रम्हास्त्र का द्यान बहुत ही कम और दुर्लभ लोगो को था | ब्रम्हास्त्र सिर्फ उनही लोगो को दिया जाता था  जो बहुत कठोर तप करके भगवान को प्रसन्न करते थे |



ब्रम्हास्त्र को कौन कौन से अस्त्र से रोका जाता है 

ब्रम्हास्त्र एक दिव्य अस्त्र है | जिससे ब्रम्हास्त्र या फिर उससे अधिक शक्ति शाली अस्त्र से ही रोका जाता है | ब्रम्हास्त्र को रोकने कि क्षमता सिर्फ ब्रम्हास्त्र , ब्रम्हशिरास्त्र,  ब्रह्मांडास्त्र , पाशुपतास्त्र, नारायणास्त्र ,सुदर्शन चक्र और शिवजी के त्रिशूल मे  ही है |  

किसने  कीया था पहली  बार ब्रम्हास्त्र का उपयोग 

महाभारत के कई  सालों पहले गुरु विश्वामित्र ने ब्रम्हास्त्र का  उपयोग कीया  था | जब गुरु विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ मे कामधेनु गाय के लीये युद्ध हुवा तब विश्वामित्र ने गुरु वशिष्ठ पे ब्रम्हास्त्र चलाया था | तब गुरु वशिष्ठ ने ब्रह्मांडास्त्र का उपयोग करके ब्रम्हास्त्र को निरस्त्र  कीया  था |

क्या महाभारत में हुआ है ब्रम्हास्त्र का इस्तेमाल?




महाभारत काल में ब्रम्हास्त्र   का इस्तेमाल दो बार हुवा था | दोनो बार यह अस्त्र पांडवो के खिलाफ चलाया गया था | एक बार जब अर्जुन  युद्ध कर रहे थे , तो उनपर  यह अस्त्र  चलाया  गया। हालांकी  अर्जुन ने  ब्रम्हास्त्र  को  शिवजी के   पाशुपतास्त्र के जरिये रोख लिया और उनको कोई नुकसान नही हुवा |  इसके बाद दूसरी बार ब्रम्हास्त्र  का उपयोग अश्वत्थामा  ने उस वक्त किया था , जब उसे यह पता चला  कि  उसके मित्र  दुर्योधन  का वध छलपूर्वक  किया  गया था । वह यह खबर सुनकर  पूरी तरह पागल  हो गया था  और पांड्वों और उनके  वंशजों का पूरी तरह खात्मा करना  चाहता था । तभी उसने  रात के वक़्त सोते हुए सभी पांचालो  को और द्रोपदी के सारे पुत्रो को मार दिया। जब यह खबर द्रोपदी को पता चली , तो वह पीड़ा से व्याकुल  हो उठी और उन्होंने  अन्न जल  का त्याग कर दिया |


उसके बाद अर्जुन और अश्वत्थामा के बीच युद्ध शुरू हुवा | अर्जुन के सामने जब अश्वत्थामा हारने लगा तब उन्होने ब्रम्हास्त्र का अनुसंधान कीया  तब अर्जुन ने भी ब्रम्हास्त्र का अनुसंधान किया | तभी  व्यास मुनि और नारद के कहने पर अर्जुन ने अपने ब्रम्हास्त्र को निरस्त कर दिया लेकीन अश्वत्थामा ऐसा करणे मे असमर्थ था |

फिर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु  कि पत्नी उत्तरा के गर्भ मे पल रहे बच्चे को मारणे के लीये ब्रम्हास्त्र  छोड दिया |

      

ब्रम्हास्त्र  और परमाणु बम की समानता 

ब्रम्हास्त्र का उपयोग महाभारत काल  में तो हुआ ही था , साथ  ही रामायण काल  मे भी लक्ष्मण इसका उपयोग करना चाहते थे   लेकीन  प्रभू श्री राम के कहने पर उन्होने ऐसा नही किया |

श्रीराम ने  कहा था कि  इसके उपयोग से पूरी लंका तबाह हो जाएगी इसलीए इसका उपयोग करना  सही नही है।

महाभारत में खुद वेदव्यास ने  लिखा है कि  जिस  जगह पर इस अस्त्र  का उपयोग हो जाता है वहां 12 वर्ष  तक कुछ भी नही उगता है। गाँव मे रहने  वाली  स्त्रीयो  के गर्भ  समाप्त हो जाते हैं।

आधुनिक युग के वैज्ञानिक रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर (Robert. J. Oppenheimer)  ने परमाणु बम का
आविष्कार किया | ओपेनहाइमर सिर्फ वैज्ञानिक ही नही थे बल्कि वो के संस्कृत भाषा के बहोत बडे अभ्यासक भी थे | ओपेनहाइमर ने महाभारत और भागवत गीता का गहन अध्ययन किया था |  ओपेनहाइमर को ब्रम्हास्त्र के ज्ञान से ही परमाणु बम बनाने की कल्पना सूझी थी | इसलीये ओपेनहाइमर ने अपने  परमाणु बम के योजना का नाम ट्रिनिटी(project trinity) रखा जो की त्रिदेव को समर्पित है |16 जुलाई 1945 को परमाणु बम का पहला  सफलतापूर्वक परीक्षण कीया गया | इस परीक्षण के बाद जो नतीजे सामने आये वो सभी  ब्रम्हास्त्र से मेल खाते है |

हड़प्पा और मोहनजो-दारो में पुरातत्व अभियानों के दौरान  , एक स्थान पर कई कंकाल पाए गए थे। वैज्ञानिक शोध  के बाद, यह साबित हुवा है कि अचानक हुए अत्यधिक गर्मी (लगभग 1500 - 2000 डिग्री सेंटीग्रेड) के निर्माण के कारण उनकी मृत्यु हो गई।ऐसी गर्मी केवल परमाणु प्रतिक्रिया से ही बन सकती है। उन कंकालो पे विकिरन (radiation)के सबूत मिले है | और वहा के ईटो पे पिघलणे के निशान  है |  ऐसा ज्वालामुखी विस्फोट से भी हो सकता है लेकीन ज्वालामुखी का कोई भी प्रमाण वैज्ञानिकों कों नही  मिले |

भारत मे हड़प्पा और मोहनजो-दारो जैसी कई ऐतिहासिक स्थल मिले है जहा पे विकिरन के सबूत मिले  है |   गंगा नदी के किनारे राजमहाल पहाडी पे ,राजस्थान के जोधपुर से दस मील पश्चिम में  तीन-वर्ग मील के  क्षेत्र और महाराष्ट्र के लोणार सरोवर मे  भी विकिरन के सबूत मिले है |

इस वर्णन  के बाद आप खुद इस हथियार के भयंकर परीणाम की कल्पना  कर सकते हैं।




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1 टिप्पणियाँ

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    जवाब देंहटाएं