जब भी भारतवर्ष के धार्मिक इतिहास की बात की जाती है , तो उसमें धर्म युद्ध महाभारत की बात लोग अवश्य करते हैं। यदि महाभारत की बात की जाए तो इसमें चक्रव्यूहं की बात लोग करना और सुनना पसंद करते हैं। क्योंकि इसी चक्रव्यूह में फंसकर अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु हुई थी। भगवत गीता से यह पता चलता है कि अर्जुन ने अपनी पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह के बारे में पूरी जानकारी सुनाई थी। मगर जब चक्रव्यूहं को भेजने का तरीका सुभद्रा जी को बता रहे थे तब उनको नींद लग गई जिसकी वजह से सुभद्रा के पेट में पल रहे अभिमन्यु को चक्रव्यूह तोड़ने की प्रक्रिया मालूम नहीं हो सकी। आज हम इस लेख के माध्यम से आप सभी लोगों को चक्रव्यूह क्या था? इसे कैसे बनाया गया और चक्रव्यूहं के अंदर कैसे अभिमन्यु चले गए? एवं चक्रव्यूह से बाहर कैसे अभिमन्यु नहीं निकल सके? चक्रव्यूहं से संबंधित हम सभी प्रकार की जानकारियां आपको इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास करेंगे , तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
व्यूह क्या होता है और उसका नामकरण कैसे किया जाता है ?
महाभारत मे कई व्यूहों का वर्णन मिलता है | युद्धभूमी मे दोनो तरफ के सेनापति पणे सैनिको को एक विशिष्ठ स्थान मे स्थित करते है उसे व्यूह रचना कहते है | व्यूह आक्रमक और बचावात्मक अपने सैनिको को एक विशिष्ठ स्थान मे स्थित करते है उसे व्यूह रचना कहते है | व्यूह आक्रमक और बचावात्मक दोनो प्रकार के होते है | सभी व्यूह की रचना इस प्रकार से की जाती है की आगर युद्ध मे कोई बडा योद्धा या सेनापति शहीद हो जाये तो उसकी जगह दूसरा सेनापति लेता है और व्यूह को फिरसे बनाता है |
किसी भी व्यूह रचना का नामकरण उसे आसमान से देखे जाने पे वो जिस प्रकार का दिखाई देता है उससे नाम रखा जाता है | अगर गरुड व्यूह को आसमान से देखा जाये तो सभी सैनिक गरुड पक्षी के आकार मे खडे दिखाई देंगे |
चक्रव्यूह का क्या अर्थ है ?
प्राचीन काल में जब भी युद्ध होता था तब उस समय दोनों पक्ष अपने सेना की क्रौंच , सर्प , गरुड़ और चक्रव्यू जैसे व्यूह रचना करते थे। सभी प्रकार के घातक युद्ध रणनीति में चक्रव्यूह को माना जाता था। पौराणिक युद्ध कुशलता में चक्रव्यूह एक ऐसा युद्ध कौशल था , जिसमें कई प्रकार के योद्धा अपने आपको यदि फंसा लेते थे , तो उसमें बाहर नहीं निकल पाते थे और विपक्षी दुश्मन से मात खा जाते थे । महभारत के युद्ध मे चक्रव्यूह को बनाने के लिए अक्षौहिणी से भी ज्यादा सैनिक लगे थे । यदि कोई भी वीर योद्धा चक्रव्यूह में घुस जाता था , तो उसको बाहर निकलना नामुमकिन के बराबर रहता था। जितने भी सैनिक चक्रव्यू में रहते थे, वह अपने स्थान से निरंतर रूप से हिलते दुलते देते थे। यदि आकाश से चक्रव्यू को देखा जाए , तो वह एक चक्र के जैसे घूमता हुआ नजर आता था।
महाभारत मे कौन से और कितने व्युहों का प्रयोग हुवा था ?
महाभारत मे सिर्फ चक्रव्यूह का ही प्रयोग नही हुवा बलकी चक्रव्यूह जैसे 40 व्युहों का प्रयोग किया गया था |
दिन | कौरवों का व्यूह | पांडवों का व्यूह |
1 दिन | सर्वतोमुखी व्यूह | वज्र व्यूह |
2 दिन | गरुड व्यूह | क्रौंच व्यूह |
3 दिन | गरुड व्यूह | अर्धचंद्र व्यूह |
4 दिन | मंडल , व्याल व्यूह | श्रीन्गातका , वज्र व्यूह |
5 दिन | मकर व्यूह | श्येन व्यूह |
6 दिन | क्रौंच व्यूह | मकर व्यूह |
7 दिन | मंडल व्यूह | वज्र व्यूह |
8 दिन | कुर्मा (कछुआ), उर्मि व्यूह | त्रिशूल , श्रीन्गातका व्यूह |
9 दिन | सर्वतोभद्र व्यूह | नक्षत्रमंडल व्यूह |
10 दिन | असुर व्यूह | देव व्यूह |
11 दिन | शकट व्यूह | क्रौंच व्यूह |
12 दिन | गरुड व्यूह | अर्धचंद्र व्यूह |
13 दिन | चक्रव्यूह | ----- |
14 दिन | चक्रशकट व्यूह | खडगसर्प व्यूह |
15 दिन | पद्म व्यूह | ----- |
16 दिन | मकर व्यूह | अर्धचंद्र व्यूह |
17 दिन | सूर्य व्यूह | महिष व्यूह |
18 दिन | सर्वतोभद्र व्यूह | क्रौंच व्यूह |
चक्रव्यूह किस प्रकार होता था ?
चक्रव्यूह की रचना में सैनिकों की 7 सुरक्षा पंक्ति होती थी। चक्रव्यू के पहले पंक्ति में सभी सैनिक निरंतर रूप से घूमते रहते थे। चक्रव्यूह के पहले पंक्ति में सामान्य एवं कम युद्ध कौशल वाले सैनिक को रखा जाता था। यदि पहली पंक्ति में कोई विरोधी दल का सैनिक या योद्धा किसी सैनिक को मार कर घुस भी ज्यादा था , तो उसकी जगह पर तुरंत कोई और सैनिक खड़ा हो जाता था। चक्रव्यूह के दूसरे पंक्ति में पहले पंक्ति के मुकाबले थोड़े बेहतर और अच्छे युद्ध कौशल वाले सैनिकों को तैनात किया जाता था। दूसरे पंक्ति के बेहतर एवं अच्छी युद्ध कौशल वाले सैनिक किसी अन्य योद्धा को अंदर आने से रोक सकें इसलिए ऐसा किया जाता था। चक्रव्यूह के छठे पंक्ति में पहले और दूसरे पंक्ति के सैनिकों से काफी ज्यादा बेहतर एवं युद्ध कौशल में निपुण सैनिकों को तैनात किया जाता था। चक्रव्यूह के अंतिम एवं सातवे पंक्ति में बहुत बड़े-बड़े बलशाली एवं ताकदवर योद्धा तैनात होते थे ताकि यदि कोई सातवीं पंक्ति तक आ भी जाता है , तो इस सातवीं पंक्ति के चक्रव्यूह से जिंदा वापस जा ना सके। कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य ने जब महाभारत में चक्रव्यूह की रचना की थी , तो उन्होंने सातवीं पंक्ति में अपने अलावा दुर्योधन , दुशासन , कर्ण , कृपाचार्य , अश्वत्थामा जैसे बड़े-बड़े महारथियों को खड़ा किया था। आचार्य द्रोणाचार्य महाभारत में चक्रव्यूह की रचना महाभारत के युद्ध के 13वे दिन की थी।
चक्रव्यूह में अभिमन्यु की वीरता
13वे दिन कौरवों की तरफ द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की । चक्रव्यूह बनाने का मुख्य उद्देश युधिष्ठिर को बंदी बनाके युद्ध समाप्त करना था । द्रोणाचार्य को मालूम था की चक्रव्यूह को अर्जुन भेद सकता है इसलिये अर्जुन को युद्धक्षेत्र की दुसरी तरफ उलझाया | तब चक्रव्यूह को भेदणे के लीये अभिमन्यु के साथ चारों पांडव गये |
अभिमन्यु ने बहुत ही तीव्रता के साथ चक्रव्यू पर आक्रमण किया। अभिमन्यु के पीछे-पीछे युधिष्ठिर , भीम , नकुल , सहदेव दूसरे अन्य वीर भी चक्रव्यूह में घुसने के लिए चल पड़े। मगर दुर्भाग्य से अभिमन्यु के अलावा इस चक्रव्यूह में कोई भी अंदर घुस नहीं सका। अभिमन्यु ही ऐसा वीर था , जिसने सातवें घेरे तक चक्रव्यू को तोड़कर अंदर घुसने में कामयाब रहा था। सभी पंक्तियों को तोड़ते हुए अकेला अभिमन्यु चक्रव्यूह के केंद्र में पहुंच जाता है। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में घुसते ही कौरवों के बड़े बड़े योद्धा एवं महारथी विचलित होने लगते हैं , वह सोचने लगते हैं , कि यदि यह अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़कर बाहर निकल जाता है , तो सभी कौरव के ऊपर एक कलंक लग जाएगा। सभी बड़े-बड़े महारथी कौरव की तरफ से यह चाहते थे , कि यह चक्रव्यूह अभिमन्यु जीवित तोड़कर बाहर ना जाने पाए। कौरव की तरफ से सभी महारथियों ने अकेले अभिमन्यु को चक्रव्यूह के केंद्र में घेर लिया। चक्रव्यूह में फंसे अकेले अभिमन्यु को 7 लोगों ने एक साथ हमला किया। अभिमन्यु ने वीरता दिखाते हुए अपनी अंतिम सांस तक सभी सातों लोगों के साथ अकेला ही लड़ता रहा। चक्रव्यूह में लड़ते लड़ते अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो जाता है। अभिमन्यु के वीरगति को प्राप्त होने के बाद सभी कौरवों के ऊपर एक कलंक लग जाता है। आज भी महाभारत की गाथा में अभिमन्यु का नाम अमर है।ऐसा माना जाता है की अभिमन्यु ने आज के हरियाणा के तानेसर गाव से चक्रव्यूह मे प्रवेश किया था |
चक्रव्यूह को भेदणे का रहस्य क्या था?
भगवत गीता के अनुसार चक्रव्यूह को केवल वही योद्धा तोड़ पाता जिसके पास कुशल युद्ध नीति के साथ-साथ एक धनुर्धारी का भी बेहतर ज्ञान हो। ऐसा कहा जाता है , कि जब एक कुशल योद्धा चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करता है , तो वह अपने बाहर निकलने का भी प्रवेश द्वार बना लेता है। एक निपुण योद्धा यह बिल्कुल अच्छी तरीके से जानता था कि चक्रव्यूह का बाहरी हिस्सा बहुत ही कमजोर है , क्योंकि वहां पर सैनिकों की संख्या अंदर के घनत्व के हिसाब से कम होती है। चक्रव्यूह को भेदने के लिए यह आवश्यक है कि अंदर के ज्यादा घनत्व वाले सैनिकों को बाहर की ओर धकेला जाए। जिसस अंदर के ज्यादा घनत्व वाले सैनिकों की संख्या में गिरावट आ सके। ऐसा करने के लिए एक योद्धा बाहर के ज्यादा से ज्यादा सैनिकों को मारना चाहता था। ताकि बाहर निकलने के लिए वह एक रास्ता बना सके और अंदर के ज्यादा घनत्व वाले सैनिकों से भी कम लड़ा जा सके। इसके अतिरिक्त एक कुशल योद्धा बहुत ही भली-भांति तरीके से यह जानता था , कि एक ऐसा चक्रव्यूह में रास्ता होता है ,जो कि बाहर निकलने के लिए खाली होता है। आज के समय में इस प्रकार की युद्ध रणनीति का प्रयोग नहीं किया जाता है। यहां पर और भी आधुनिक तरीकों से युद्ध रणनीति तैयार की जाती है।
चक्रव्यूह कोण कोण से योद्धा भेद सकते थे ?
चक्रव्यूह एक बहोत ही शक्तीशाली व्यूह रचना थी जिसे भेद पाना लागभग असंभव था | महाभारत के समय मे सिर्फ 9 योद्धा थे जीन्हे चक्रव्यूह को सफलतपूर्वक भेद सकते थे | चक्रव्यूह को भेदणे के लीये योद्धा का कुशल धनुर्धर होणा आवश्यक था | चक्रव्यूह को सिर्फ और सिर्फ धनुर्धर ही भेद सकता था |
पांडवो की तरफ से अर्जुन , श्री कृष्ण , अभिमन्यु (अधूरा ज्ञान था ) |
कौरवो की तरफ से भीष्म, द्रोण, कर्ण और अश्वत्थामा |
महाभारत के समय मे श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और भगवान परशुराम दो ऐसे योद्धा भी थे जिन्होणे महाभारत के युद्ध मे भाग नही लिया था लेकीन उन्हे चक्रव्यूह को भेदणे की ताकद थी |
Interesting Facts about Vyuh:-
- पुराणो मे कुल 128 व्युहों का जिक्र आता है उन्मे से 40 व्यूह का महाभारत युद्ध मे प्रयोग किया गया |
- रावण ने अपनी लंका की रचना चक्रव्यूह से प्रेरित होके बनाई थी |
- किसी भी व्यूह का आकार उन्मे शामिल किये गये सैनिको के उपर होता है | चक्रशकट व्यूह का आकार 288 कोस लंबा और 120 कोस चौडा था (1 कोस = 3.12 km ) |
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